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Up Kiran, Digital Desk: भारत को एयरोस्पेस और रक्षा विनिर्माण के क्षेत्र में एक वैश्विक शक्ति बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) से आग्रह किया है। उन्होंने एचएएल से अपील की है कि वह इंजीनियरिंग छात्रों के लिए एयरोस्पेस और वैमानिकी (एयरोनॉटिकल) इंजीनियरिंग में विशेष स्नातक (यूजी) पाठ्यक्रम शुरू करे।

यह सुझाव मंत्री ने एचएएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक सी.बी. अनंतकृष्णन के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक के दौरान दिया। प्रधान ने इस बात पर ज़ोर दिया कि देश के तेज़ी से बढ़ते एयरोस्पेस और रक्षा उद्योग में कुशल कार्यबल की कमी को दूर करने के लिए ऐसे विशिष्ट पाठ्यक्रमों की तत्काल आवश्यकता है। उनका मानना है कि एचएएल जैसे प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (PSUs) को शिक्षा क्षेत्र के साथ मिलकर काम करना चाहिए ताकि गुणवत्तापूर्ण प्रतिभा पूल का निर्माण हो सके।

शिक्षा मंत्री ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत उद्योग और अकादमिक जगत के बीच गहरे सहयोग पर भी बल दिया। उन्होंने सुझाव दिया कि एचएएल जैसे संस्थान तकनीकी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के साथ मिलकर ऐसे पाठ्यक्रम तैयार कर सकते हैं जो उद्योग की वास्तविक ज़रूरतों के अनुरूप हों। इससे छात्रों को न केवल सैद्धांतिक ज्ञान मिलेगा, बल्कि उन्हें व्यावहारिक अनुभव भी प्राप्त होगा, जिससे वे सीधे उद्योग के लिए तैयार हो सकेंगे।

धर्मेंद्र प्रधान का यह दृष्टिकोण 'आत्मनिर्भर भारत' के सपने को साकार करने और भारत को एक प्रमुख रक्षा और एयरोस्पेस विनिर्माण केंद्र बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है। एचएएल की भागीदारी से इंजीनियरिंग छात्रों को अत्याधुनिक तकनीक सीखने और देश के रक्षा नवाचारों में सीधे योगदान करने का एक अभूतपूर्व अवसर मिलेगा, जो अंततः राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक विकास को मजबूती प्रदान करेगा।

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