
Up Kiran, Digital Desk: आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में एक गांव है, नरावारिपल्ले। यह वही गांव है जो पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू का पैतृक गांव भी है। हाल ही में इस गांव में कुछ ऐसा हुआ है जिसने यहां के लोगों की ज़िंदगी में एक नई रोशनी भर दी है - यहां अब सोलर पावर से जलने वाली लाइटें लग गई हैं!
यह सब मुमकिन हो पाया है तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के उत्साही कार्यकर्ताओं और गांव के लोगों की मेहनत और एकजुटता से। उन्होंने मिलकर गांव में सोलर लाइटिंग सिस्टम लगवाए हैं।
पहले क्या होता था कि शाम ढलते ही गांव की गलियों में अंधेरा छा जाता था। इससे गांव वालों को कई तरह की दिक्कतें होती थीं। रात में कहीं आना-जाना मुश्किल होता था, खासकर बुज़ुर्गों, महिलाओं और बच्चों के लिए सुरक्षा की चिंता बनी रहती थी। बच्चों के लिए तो अंधेरे में पढ़ाई करना भी मुश्किल था।
लेकिन अब तस्वीर पूरी तरह बदल गई है। जैसे ही शाम होती है, सोलर लाइटें अपने आप जल उठती हैं और पूरा नरावारिपल्ले गांव जगमगा उठता है। अब लोग रात में भी आराम से बाहर निकल सकते हैं, अपनी ज़रूरी काम कर सकते हैं। बच्चों के लिए रात में भी पढ़ना आसान हो गया है। सबसे बड़ी बात यह है कि गांव में अब ज़्यादा सुरक्षा महसूस होती है। रात के अंधेरे का डर कम हो गया है।
और इसका एक और बड़ा फायदा यह है कि ये लाइटें सूरज की ऊर्जा से चलती हैं, इसलिए बिजली का बिल भी नहीं आता! यह गांव वालों के लिए आर्थिक रूप से भी राहत की बात है।
यह परियोजना दिखाती है कि जब लोग और कार्यकर्ता मिलकर काम करते हैं, तो कैसे छोटे-छोटे प्रयास भी बड़े बदलाव ला सकते हैं और लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बना सकते हैं। नरावारिपल्ले के लिए सोलर पावर सिर्फ रोशनी नहीं लाया है, बल्कि इसने सुविधा, सुरक्षा और एक बेहतर कल की उम्मीद जगाई है।
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