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उत्तर प्रदेश के संभल जिले में एक ऐसा बीमा धोखाधड़ी गिरोह पकड़ा गया है, जिसने जामताड़ा के साइबर अपराधियों को भी मात दे दी है। यह गिरोह न केवल मृतकों के नाम पर बीमा पॉलिसी बनाता था, बल्कि उनकी मौत के बाद भी क्लेम निकालने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार करता था।
कैसे काम करता था यह गिरोह?
गिरोह के सदस्य ग्रामीण क्षेत्रों में आशा वर्करों, छात्रों और अन्य स्थानीय लोगों की मदद से बीमार या वृद्ध व्यक्तियों को पहचानते थे। फिर उनके नाम पर बीमा पॉलिसी बनवाते थे। कुछ मामलों में तो मृतकों के नाम पर भी पॉलिसी बनवाकर क्लेम निकाल लिया गया। इन पॉलिसियों के लिए फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र, मेडिकल रिपोर्ट और अन्य दस्तावेज तैयार किए जाते थे।
पुलिस ने कैसे किया खुलासा?
संभल पुलिस ने जनवरी 2024 में एक स्कॉर्पियो सवार दो युवकों को पकड़ा। इनके पास से बीमा पॉलिसी से जुड़े हजारों दस्तावेज मिले। जांच में पता चला कि यह गिरोह पिछले आठ वर्षों से सक्रिय था और अब तक 100 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी कर चुका था। पुलिस ने अब तक 25 आरोपियों को गिरफ्तार किया है और अन्य की तलाश जारी है।
गिरोह के सदस्य और बरामद सामग्री
पुलिस ने गिरोह के छह सदस्यों को गिरफ्तार किया है, जिनमें एक आशा वर्कर भी शामिल है। गिरफ्तारी के दौरान पुलिस ने 81 पासबुक, 16 चेक बुक, 35 डेबिट कार्ड, 25 आधार कार्ड, 31 मृत्यु प्रमाण पत्र, 17 पॉलिसी बांड, सिम और बैंकों की मुहरें बरामद की हैं।
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