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Up Kiran Digital Desk: सियासी गलियों में एक बार फिर जाति जनगणना को लेकर बहस तेज हो गई है। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर तीखा हमला बोला। उनके निशाने पर सिर्फ केंद्र सरकार ही नहीं, बल्कि पूरी विचारधारा थी जिसे उन्होंने "जातिगत गणना विरोधी" करार दिया।

क्या कहा सुरजेवाला ने

सुरजेवाला ने प्रेस को संबोधित करते हुए कई दस्तावेजों के जरिए यह साबित करने की कोशिश की कि बीजेपी और आरएसएस दोनों ने हमेशा जातिगत जनगणना का विरोध किया है – चाहे वह मंच हो या अदालत। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी सिर्फ वोटबैंक की राजनीति के लिए जातिगत मुद्दों को उछालती है लेकिन जब बात सामाजिक न्याय की आती है, तो पीछे हट जाती है।

मोदी सरकार पर गंभीर आरोप

सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी ने खुद संसद में लिखित रूप से जातिगत जनगणना को नकारा था। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने यह तर्क दिया कि जातिगत आंकड़े जुटाना प्रशासनिक रूप से असंभव है। इतना ही नहीं, उन्होंने अदालत में दो बार शपथ पत्र दाखिल किए जिसमें यह स्पष्ट किया गया कि जनगणना कराने का अधिकार राज्यों का नहीं बल्कि भारत सरकार का है।

हमारी हिस्सेदारी, हमारी भागीदारी की लड़ाई

सुरजेवाला ने इस मुद्दे को केवल आंकड़ों की नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय की लड़ाई बताया। उन्होंने 2011 में शुरू हुई जातिगत जनगणना और 2015 में तैयार हुई रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि भाजपा ने उस रिपोर्ट को "षड्यंत्र के तहत कूड़ेदान में फेंक दिया।" उन्होंने नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि यही वो शख्स हैं जो कभी जातिगत गणना के पक्ष में बोलने वालों को अर्बन नक्सल कहते थे।

बिहार और तेलंगाना मॉडल की चर्चा

कांग्रेस नेता ने कहा कि जातिगत जनगणना का मॉडल तेलंगाना से आया और बिहार सरकार ने भी इसे लागू किया लेकिन अधूरा प्रयास किया। उन्होंने याद दिलाया कि खुद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि राज्य सरकारों को जातिगत जनगणना का अधिकार नहीं है और अगर वे ऐसा करती हैं तो यह संविधान के खिलाफ होगा।

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