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Up Kiran, Digital Desk: बिहार विधानसभा इलेक्शन में अभी काफी वक्त बाकी है लेकिन राज्य की सियासी हलचल तेज़ हो गई है। रैलियों का दौर शुरू हो चुका है और हर कोई इस इंतजार में है कि चुनाव की तारीखें कब घोषित होंगी और कितने चरणों में यह चुनाव संपन्न होंगे। यह पल ऐतिहासिक हो सकता है क्योंकि चुनाव आयोग ने अब दिवाली और छठ पर्व को ध्यान में रखते हुए चुनाव की तारीखें तय करने की योजना बनाई है ताकि लोक उत्सवों के बीच राजनीतिक माहौल में कोई विघ्न न आये।

आधिकारिक सूत्रों से यह भी पता चला है कि बिहार विधानसभा इलेक्शन इस बार दो से तीन चरणों में कराए जा सकते हैं। बिहार विधानसभा का वर्तमान कार्यकाल 22 नवंबर 2025 को खत्म हो रहा है जिससे पहले चुनावी प्रक्रिया का पूरा होना अनिवार्य है। इस लिहाज से समय की मांग है कि सब कुछ व्यवस्थित और सुचारु रूप से चल सके। चुनाव की तारीखों का ऐलान हर किसी की नज़रें उस पर टिकी हुई हैं और इसकी भविष्यवाणी सियासी हलकों में चर्चा का केंद्र बन चुकी है।

चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले चुनाव आयोग अपने कर्मचारियों और चुनावी प्रक्रिया में शामिल होने वाले सभी लोगों को तैयार करने के लिए मैदान में उतर चुका है। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार इस महीने बिहार का दौरा करेंगे ताकि चुनावी प्रक्रिया की संपूर्ण तैयारियों की जाँच की जा सके। इस दौरे से पहले ही आयोग अपने कर्मचारियों को मतदान प्रक्रिया के बारे में गहरी जानकारी दे रहा है ताकि किसी भी स्थिति में कोई भी परेशानी न हो।

बिहार विधानसभा इलेक्शन के लिए वोटर लिस्ट की अहमियत पहले से कहीं अधिक महसूस हो रही है। पिछले कुछ महीनों में जिन राज्यों में चुनाव हुए वहां वोटर लिस्ट से जुड़ी गंभीर शिकायतें सामने आई थीं। इसी को ध्यान में रखते हुए आयोग ने विशेष प्रशिक्षण और कड़ी निगरानी की योजना बनाई है। बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) को घर-घर जाकर सत्यापन की जिम्मेदारी सौंपी गई है ताकि हर वोटर की सही जानकारी सुनिश्चित की जा सके।

इस बार चुनाव आयोग ने नई पहल की है जिसमें वोटर लिस्ट को अपडेशन अभियान के रूप में चलाया जाएगा। विशेष ध्यान उन युवाओं पर होगा जिनकी उम्र अब 18 साल हो चुकी है और जो पहली बार अपना वोट डालने के लिए तैयार हैं। साथ ही नए इंटीग्रेटेड डैशबोर्ड "ECINET" के जरिए सभी जानकारी एक ही जगह पर उपलब्ध होगी जिससे आयोग के कर्मचारियों और राजनीतिक दलों को काम करने में सुविधा होगी।

इसके अलावा इस बार पोलिंग बूथों की संख्या को भी बढ़ाया जाएगा और अधिकतर मतदाताओं के लिए पोलिंग बूथ तक पहुंचने का रास्ता आसान किया जाएगा। घनी आबादी वाले इलाकों में अतिरिक्त पोलिंग बूथ स्थापित किए जाएंगे और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई भी मतदाता 2 किलोमीटर से अधिक की दूरी न तय करे। शहरों में हाई-राइज बिल्डिंग्स में भी पोलिंग बूथ बनेंगे ताकि किसी को भी अपनी आवाज़ उठाने के लिए लंबी दूरी तय न करनी पड़े।

चुनाव आयोग ने एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) से जुड़ी चुनौतियों का भी मुकाबला करने के लिए एक विशेष सेल गठित करने का फैसला किया है। यह सेल राजनीतिक प्रचार में इस्तेमाल हो रही एआई सामग्री पर निगरानी रखेगा ताकि कोई भी फर्जी प्रचार या डीप फेक वीडियो का प्रयोग न हो सके। राजनीतिक दलों को पहले ही यह निर्देश दिया जा चुका है कि वे अपनी प्रचार सामग्री में यह साफ़ तौर पर उल्लेख करें कि यह एआई द्वारा बनाई गई है ताकि मतदाताओं को धोखा न मिले।

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