राजनीति में समय और संकेत दोनों का बड़ा महत्व होता है। ऐसा ही कुछ देखने को मिला 3 अगस्त को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह, अलग-अलग समय पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलने पहुँचे। इस बैठक की कोई आधिकारिक सूचना पहले से नहीं थी, जिससे अटकलों का बाजार गर्म हो गया।
सबसे बड़ी चर्चा यह है कि क्या यह मुलाकातें 5 अगस्त से जुड़ी हैं? वही तारीख जब 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया गया था। उसके बाद हर साल यह दिन सत्ताधारी दल के लिए प्रतीकात्मक बन चुका है। क्या इस बार भी कोई बड़ा राजनीतिक या संवैधानिक फैसला लिया जाने वाला है?
इन मुलाकातों का समय उपराष्ट्रपति चुनाव की घोषणा और संसद में चल रहे गतिरोध के बीच भी अहम माना जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि सरकार इस हफ्ते किसी बड़ी घोषणा की तैयारी में हो सकती है, जिसमें विपक्ष की प्रतिक्रिया को ध्यान में रखकर राष्ट्रपति से परामर्श किया गया हो।
विशेषज्ञों का मानना है कि मोदी और शाह की राष्ट्रपति से मुलाकातें केवल शिष्टाचार नहीं थीं, बल्कि आने वाले किसी निर्णायक क्षण की पूर्वपीठिका हो सकती हैं। हालांकि आधिकारिक स्तर पर अभी कोई पुष्टि नहीं की गई है।
राजनीतिक विश्लेषकों की नजर अब 5 अगस्त पर टिकी हुई है। क्या यह दिन फिर किसी नई शुरुआत का गवाह बनेगा?

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