img

Up Kiran, Digital Desk: ब्रिटेन ने अपनी आप्रवासन नीतियों में एक बड़ा बदलाव करते हुए 15 नए देशों, जिनमें भारत भी शामिल है, के नागरिकों के लिए 'डिपोर्ट नाउ, अपील लेटर' (Deport Now, Appeal Later) योजना का विस्तार किया है। इस योजना के तहत, इन देशों के नागरिकों को अपील करने का मौका मिलने से पहले ही ब्रिटेन से निर्वासित (deported) किया जा सकेगा। फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, यूके होम ऑफिस की इस योजना के तहत निर्वासित किए जा सकने वाले देशों की संख्या को आठ से बढ़ाकर 23 करने की योजना है।

'पहले निकालो, फिर सुनवाई': क्या है यह नीति?
यह नीति, जिसे 2023 में फिर से लागू किया गया था, कुछ विदेशी नागरिकों को पहले निर्वासित करने की अनुमति देती है, और फिर वे वीडियो लिंक के माध्यम से दूर से अपनी अपील की सुनवाई में भाग ले सकते हैं, बजाय इसके कि वे प्रक्रिया के दौरान यूके में ही रहें। इसका उद्देश्य उन लोगों को तुरंत देश से बाहर निकालना है जिन्हें ब्रिटेन में रहने की अनुमति नहीं दी गई है।

गृह सचिव का बचाव: 'अपराधियों को सिस्टम का दुरुपयोग नहीं करने देंगे!'
गृह सचिव यवेटे कूपर (Yvette Cooper) ने इस विस्तार का बचाव करते हुए कहा कि यह नीति उन विदेशी अपराधियों को निशाना बनाती है जो निर्वासन में महीनों या वर्षों की देरी करने के लिए आप्रवासन प्रणाली का 'शोषण' करते हैं। कूपर ने कहा, "हमारे देश में अपराध करने वालों को सिस्टम में हेरफेर करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। हम नियंत्रण बहाल कर रहे हैं और एक स्पष्ट संदेश भेज रहे हैं कि हमारे कानूनों का सम्मान किया जाना चाहिए और उन्हें लागू किया जाएगा।" यह बयान ब्रिटेन की आप्रवासन प्रणाली को मजबूत करने और अवैध प्रवासियों पर नकेल कसने की सरकार की मंशा को दर्शाता है।

यह योजना कैसे काम करती है?
सामान्य तौर पर, यूके में रहने की अनुमति से इनकार किए गए लोगों को अपील का निर्णय होने तक यूके में रहने की अनुमति होती है।

इस नई नीति के तहत, पात्र व्यक्तियों को पहले उनके गृह देश निर्वासित किया जाता है।

अपीलें दूर से सुनी जाती हैं, आमतौर पर वीडियो लिंक के माध्यम से।

यदि अपील सफल होती है, तो उस व्यक्ति को यूके वापस आने की अनुमति मिल सकती है।

--Advertisement--