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इज़राइल और फिलिस्तीन के बीच तनाव कोई नई बात नहीं है, लेकिन हाल ही में इजराइल के एक कदम ने पूरे खाड़ी देशों में गुस्से की लहर दौड़ा दी है. सऊदी अरब से लेकर संयुक्त अरब अमीरात (UAE) तक, सभी बड़े मुस्लिम देशों ने इजराइल को कड़ी चेतावनी जारी की है. आलम यह है कि ऐतिहासिक "अब्राहम समझौते" पर भी खतरे के बादल मंडराने लगे हैं.

क्या है खाड़ी देशों के गुस्से की वजह?

इस पूरे विवाद की जड़ है इजराइल की संसद 'नेसेट' में पास हुए दो नए कानूनों का ड्राफ्ट. ये कानून वेस्ट बैंक के इलाकों पर इजराइली संप्रभुता को और बढ़ाने का काम करेंगे. सीधे शब्दों में कहें तो, इजराइल वेस्ट बैंक के और हिस्सों को अपने नियंत्रण में लेना चाहता है, जहाँ फिलिस्तीनी अपना एक अलग देश बनाने का सपना देखते हैं. खाड़ी देशों ने इसे एक "रेड लाइन" का उल्लंघन बताया है.

किसने क्या कहा?सऊदी अरब और क़तर: दोनों देशों ने कड़े शब्दों में इजराइल के इस कदम की निंदा की है. उन्होंने इसे फिलिस्तीनी अधिकारों का खुला उल्लंघन और अंतरराष्ट्रीय कानूनों को चुनौती बताया है.

संयुक्त अरब अमीरात (UAE): UAE, जिसने अब्राहम समझौते के तहत इजराइल से रिश्ते सामान्य किए थे, ने भी इस पर कड़ी आपत्ति जताई है. UAE के राष्ट्रपति के सलाहकार अनवर गर्गश ने इसे एक "रेड लाइन" पार करने जैसा बताया और कहा कि इजराइल को फिलिस्तीन की सुरक्षा और एक अलग राज्य की स्थापना के बीच संतुलन बनाना होगा.

क्या खतरे में है 'अब्राहम समझौता'?

अब्राहम समझौता एक ऐतिहासिक पहल थी, जिसका मकसद इजराइल और अरब देशों के बीच दशकों पुरानी दुश्मनी को खत्म कर एक नए दौर की शुरुआत करना था. लेकिन इजराइल के वेस्ट बैंक को लेकर उठाए गए इस ताजा कदम ने इस समझौते के भविष्य पर ही सवालिया निशान लगा दिया है. खाड़ी के देश इस बात पर नजर बनाए हुए हैं कि इजराइल आगे क्या करता है. उनकी तीखी प्रतिक्रिया यह बताती है कि अगर इजराइल अपने विस्तारवादी इरादों से पीछे नहीं हटा, तो इस ऐतिहासिक समझौते की नींव हिल सकती है.

अब दुनिया की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि क्या इजराइल अंतरराष्ट्रीय दबाव के आगे झुकेगा या फिर मध्य-पूर्व एक नए और गहरे संकट की ओर बढ़ेगा.