
Up Kiran, Digital Desk: रविवार को ब्राजील के रियो डी जेनेरियो के मशहूर मॉडर्न आर्ट म्यूज़ियम में एक दिलचस्प नज़ारा देखने को मिला, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेते हुए तमाम देशों के नेताओं के साथ पारिवारिक तस्वीर खिंचवाई। ये कोई आम फोटो नहीं थी — इसमें छिपा था साझा विकास और वैश्विक चुनौतियों से लड़ने का एक ठोस संदेश, जो ब्रिक्स की एकजुटता का प्रतीक बन गया।
इस ऐतिहासिक फोटो में ब्राजील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा और प्रधानमंत्री मोदी के अलावा सात अन्य देशों के प्रमुख नेता और प्रतिनिधि मौजूद थे। तस्वीर में सिर्फ चेहरे ही नहीं थे, बल्कि उन देशों की साझेदारी और सहयोग की भावना भी थी जो ब्रिक्स समूह को मजबूती देती है। इस दायरे में अब ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के साथ-साथ नए सदस्य देश मिस्र, इथियोपिया, ईरान, यूएई, इंडोनेशिया और सऊदी अरब भी शामिल हो गए हैं। क्या ये विस्तार आने वाले समय में शक्ति संतुलन को नया आकार देगा?
आतंकवाद पर पीएम मोदी ने दिया कड़ा संदेश
शांति और सुरक्षा से जुड़े विशेष सत्र में प्रधानमंत्री मोदी ने आतंकवाद को लेकर कड़ा रुख दिखाते हुए एक बार फिर साफ कर दिया कि इस वैश्विक संकट से निपटने में कोई समझौता नहीं हो सकता। उन्होंने हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए बर्बर आतंकी हमले का जिक्र करते हुए कहा कि यह भारत की आत्मा और गरिमा पर सीधा हमला था और मानवता के लिए एक गहरा घाव भी। पीएम मोदी ने स्पष्ट किया कि आतंकवाद के खिलाफ निंदा का रवैया सिर्फ सुविधाजनक वक्तव्यों तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि यह सबका साझा सिद्धांत होना चाहिए।
उन्होंने सभी देशों से आग्रह किया कि राजनीतिक स्वार्थों को परे रखकर आतंक के खिलाफ एकजुट हों, क्योंकि अगर हम इसके लिए मापदंड बदलते रहेंगे तो यह मानवता के साथ विश्वासघात होगा। इस दौरान उन्होंने उन देशों का भी धन्यवाद किया जिन्होंने इस मुश्किल घड़ी में भारत के साथ मजबूती से खड़े रहकर समर्थन दिया।
ब्रिक्स नेताओं की एक आवाज — आतंकवाद पर कोई नरमी नहीं
ब्रिक्स समूह के अन्य नेताओं ने भी पहलगाम में हुए हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि निर्दोष लोगों की जान लेना किसी भी सूरत में माफ नहीं किया जा सकता। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि आतंकवाद किसी भी रूप या वजह से हो, वह अपराध ही रहेगा और इससे निपटने के लिए ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति जरूरी है। इस घोषणापत्र में आतंकवादियों के लिए सीमाएं पार कर पनाह लेने, आतंकवाद को फंडिंग और सुरक्षित ठिकानों के मुद्दे पर भी सख्ती से कार्रवाई की प्रतिबद्धता जताई गई।
ब्रिक्स नेताओं ने यह भी कहा कि आतंकवाद को किसी धर्म, नस्ल या जातीयता से जोड़ना नाजायज़ है। जो लोग ऐसे कृत्यों में शामिल हैं, उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत जवाबदेह ठहराना ही होगा। साथ ही उन्होंने मानवाधिकार और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों का पालन करते हुए वैश्विक स्तर पर आतंकवाद से मुकाबला करने की एकजुट अपील की। ब्रिक्स ने अपने आतंकवाद रोधी कार्य समूह और इससे जुड़े उपसमूहों को और अधिक मजबूत बनाने का भी समर्थन किया है। इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र के अंतर्गत अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन को जल्द अंतिम रूप देने पर भी जोर दिया गया।
ब्रिक्स के भविष्य पर मोदी का भरोसा
पारिवारिक फोटो के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने ‘एक्स’ (पहले ट्विटर) पर अपनी प्रतिबद्धता को साझा किया। उन्होंने लिखा कि रियो डी जेनेरियो में साथी ब्रिक्स नेताओं के साथ मिलकर उन्होंने अधिक समावेशी और न्यायसंगत वैश्विक भविष्य की दिशा में मजबूत कदम बढ़ाया है। पीएम मोदी का मानना है कि ब्रिक्स में दुनिया को एक नई दिशा देने की अभूतपूर्व ताकत है — बशर्ते सदस्य देश सहयोग और साझेदारी को प्राथमिकता देते रहें।
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