
Up Kiran, Digital Desk: जैसे-जैसे चुनाव की तारीखें नज़दीक आती हैं, राजनीतिक गलियारों में गर्मी बढ़ जाती है। नेताओं के भाषण तेज़ हो जाते हैं और वादों और दावों का दौर शुरू हो जाता है। इसी सियासी माहौल के बीच, कांग्रेस के एक वरिष्ठ और अनुभवी नेता, प्रमोद तिवारी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर एक सीधा और तीखा हमला बोला है, जिसने एक नई बहस को जन्म दे दिया है।
प्रमोद तिवारी ने एक बहुत ही सरल लेकिन गंभीर आरोप लगाया है। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी की एक 'खास आदत' है - वह हर चुनाव से ठीक पहले जनता के लिए बड़ी-बड़ी घोषणाएं और ऐलान करते हैं, लेकिन जैसे ही चुनाव ख़त्म होते हैं, उन वादों को भुला दिया जाता है।
क्या है इस आरोप का मतलब?
कांग्रेस नेता का कहना है कि यह जनता के साथ एक तरह का धोखा है। चुनाव जीतने के लिए लुभावने वादे कर दिए जाते हैं, लेकिन उन्हें पूरा करने के लिए कोई ठोस योजना नहीं होती। उन्होंने इसे 'चुनावी जुमला' का ही एक दूसरा रूप बताया है, जहाँ बड़े-बड़े ऐलान सिर्फ़ वोट पाने का एक ज़रिया बनकर रह जाते हैं।
विपक्ष क्यों उठा रहा है यह मुद्दा?
आने वाले समय में देश के कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, और उसके बाद लोकसभा चुनाव की तैयारी भी शुरू हो जाएगी। ऐसे में, विपक्ष सरकार को उसके पुराने वादों की याद दिलाकर घेरने की कोशिश कर रहा है। विपक्ष जनता को यह बताने की कोशिश कर रहा है कि सरकार द्वारा अभी किए जा रहे ऐलानों पर भरोसा करने से पहले, उन्हें पिछले वादों का हिसाब मांगना चाहिए।
यह बयान उस राजनीतिक लड़ाई का हिस्सा है जहाँ सत्ता पक्ष अपने काम को अपनी सबसे बड़ी ताक़त बताता है, तो वहीं विपक्ष 'याद दिलाने' की राजनीति करता है कि जो कहा गया था, वो किया गया या नहीं।
यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इन आरोपों का क्या जवाब देती है। लेकिन एक बात तो तय है - आने वाले दिन भारतीय राजनीति में बयानों और पलटवारों से भरे होने वाले हैं, और इन सब के बीच, असली फैसला तो देश की जनता को ही करना है।