article 370 restoration: पांच साल पहले मोदी सरकार ने धारा 370 को हटाकर जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाली धाराओं को खत्म कर दिया था। इसके बाद से जम्मू कश्मीर का पुनर्गठन हुआ और उसे केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मिला। हालांकि धारा 370 को वापस लिए जाने का मुद्दा अभी भी चर्चा और विवाद का केंद्र बना हुआ है। हाल ही में जम्मू कश्मीर विधानसभा में फिर से हंगामा हुआ। विधानसभा में प्रस्ताव पारित करने को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्षी बीजेपी के बीच तीखी नोकझोंक हुई, हाथापाई तक की नौबत आ गई और विधायकों को मार्शल की मदद से बाहर निकाला गया।
370 पर अब्दुल्ला सरकार की पहल और भाजपा का विरोध
जम्मू-कश्मीर विधानसभा में धारा 370 को बहाल करने का प्रस्ताव पारित किया गया, जिसका बीजेपी ने कड़ा विरोध किया। बीजेपी ने इल्जाम लगाया कि 370 को बहाल करने का प्रस्ताव विधानसभा अध्यक्ष ने खुद तैयार किया था, जो नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रति समर्थन को दर्शाता है। बीजेपी का दावा है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस जम्मू-कश्मीर के लोगों को गुमराह कर रही है, क्योंकि राज्य विधानसभा का कोई भी प्रस्ताव केंद्र द्वारा निरस्त किए गए धारा 370 और 35ए को बहाल नहीं कर सकता है।
क्या धारा 370 की बहाली संभव है?
भाजपा ने साफ तौर पर दावा किया है कि धारा 370 की बहाली असंभव है। संवैधानिक दृष्टिकोण से धारा 370 की बहाली के लिए संसद में कानून पारित होना और राष्ट्रपति की मंजूरी की आवश्यकता होती है। इसलिए, राज्य विधानसभा द्वारा पारित कोई भी प्रस्ताव बाध्यकारी नहीं है, और इसे महज औपचारिकता के रूप में देखा जा सकता है। इस मामले में मोदी सरकार का रुख साफ है - वह 370 को बहाल करने के किसी भी कदम का विरोध करेगी।
पूरे देश के लिए संवेदनशील विषय बना ये मुद्दा
जम्मू-कश्मीर में धारा 370 को लेकर हंगामा और बहस निरंतर बढ़ती जा रही है। ये मुद्दा राज्य ही नहीं बल्कि पूरे देश में संवेदनशील विषय बना हुआ है। नेशनल कॉन्फ्रेंस जहां इसे फिर से लागू करना चाहती है, वहीं बीजेपी इसका पुरजोर विरोध कर रही है। ऐसे में विधानसभा में हुए हालिया घटनाक्रम ने साबित कर दिया कि 370 का मुद्दा अभी भी जम्मू-कश्मीर की राजनीति का अहम पहलू है।
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