Up Kiran, Digital Desk: क्या आपने कभी सोचा है कि जिस स्मार्टफोन या लैपटॉप में आप घंटों बिताते हैं, वह आपके रिश्तों, आपकी यौन सेहत और बच्चे पैदा करने की क्षमता पर कैसे असर डाल सकता है? आज के डिजिटल युग में, जहाँ हमारी आँखें लगातार स्क्रीन पर गड़ी रहती हैं, एक चिंताजनक सच सामने आ रहा है – हद से ज़्यादा स्क्रीन टाइम सिर्फ आपकी आँखों या गर्दन को ही नुकसान नहीं पहुँचाता, बल्कि यह आपके तनाव को बढ़ाता है और इसका सीधा असर आपकी 'यौन सेहत' और प्रजनन क्षमता (fertility) पर भी पड़ रहा है. यह जानना आपके लिए बहुत ज़रूरी है, क्योंकि यह आपके खुशहाल जीवन से जुड़ा है!
स्क्रीन टाइम और बढ़ता तनाव: एक खतरनाक मेल
आप शायद महसूस भी न करें, लेकिन जब आप लगातार स्क्रीन पर लगे रहते हैं, तो आपका दिमाग लगातार जानकारी प्रोसेस कर रहा होता है. सोशल मीडिया की लगातार खबरें, काम के मेल, या फिर वेब सीरीज़ की अंतहीन स्क्रॉलिंग— ये सब आपके दिमाग पर एक अदृश्य बोझ डालती हैं.
- नींद की कमी: देर रात तक स्क्रीन देखने से मेलाटोनिन हार्मोन का उत्पादन बाधित होता है, जिससे आपकी नींद प्रभावित होती है.
- सामाजिक अलगाव: वर्चुअल दुनिया में ज़्यादा समय बिताने से असल ज़िंदगी के रिश्ते कमज़ोर पड़ते हैं, जिससे अकेलापन और डिप्रेशन बढ़ता है.
- जानकारी का अंबार: सूचनाओं के अतिभार से चिंता और तनाव का स्तर बढ़ जाता है, जिससे आप अक्सर थका हुआ महसूस करते हैं.
और यह बढ़ा हुआ तनाव ही है, जो आपकी यौन सेहत और प्रजनन क्षमता पर नकारात्मक असर डालना शुरू कर देता है.
यौन स्वास्थ्य पर गहराता असर
जब आप तनावग्रस्त होते हैं, तो आपका शरीर 'फाइट या फ्लाइट' मोड में चला जाता है, जहाँ कोर्टिसोल जैसे स्ट्रेस हार्मोन बढ़ जाते हैं. इसका सीधा असर आपकी यौन इच्छा और प्रदर्शन पर पड़ता है:
- लिबिडो में कमी: तनाव अक्सर यौन इच्छा (libido) को कम कर देता है. जब दिमाग किसी और चीज़ में उलझा हो, तो प्यार के लिए जगह कम ही बचती है.
- प्रदर्शन संबंधी चिंताएं: लगातार चिंता और थकान से पुरुष और महिलाओं दोनों में यौन प्रदर्शन को लेकर तनाव हो सकता है, जिससे रिश्ते में भी खटास आ सकती है.
- शारीरिक प्रभाव: तनाव से रक्त प्रवाह (blood circulation) पर भी असर पड़ता है, जो पुरुषों में इरेक्टाइल डिस्फंक्शन (नपुंसकता) का एक कारण बन सकता है. महिलाओं में यह मासिक धर्म चक्र को भी अनियमित कर सकता है.
प्रजनन क्षमता (Fertility) पर पड़ने वाला असर
यह सिर्फ मूड की बात नहीं है, बल्कि आपके बच्चे पैदा करने की क्षमता पर भी स्क्रीन टाइम और उससे जुड़ा तनाव सीधा हमला करता है.
- महिलाओं में: तनाव हार्मोनल संतुलन को बिगाड़ सकता है, जिससे मासिक धर्म अनियमित हो सकते हैं या ओवुलेशन (अंडा निकलने की प्रक्रिया) में भी दिक्कत आ सकती है. यह गर्भधारण की संभावना को कम कर देता है.
- पुरुषों में: पुरुषों के लिए भी यह कम खतरनाक नहीं है. कुछ शोध बताते हैं कि अत्यधिक स्क्रीन टाइम, खासकर लैपटॉप या फोन को गोद में रखने से निकलने वाली गर्मी, शुक्राणुओं की संख्या (sperm count) और गुणवत्ता (sperm quality) को नुकसान पहुँचा सकती है. तनाव खुद भी शुक्राणुओं के उत्पादन को प्रभावित करता है, जिससे प्रजनन क्षमता घट जाती है.
क्या करें?
अब जब आप यह सब जान गए हैं, तो सवाल है कि क्या किया जाए? समाधान बहुत मुश्किल नहीं हैं, बस थोड़ी-सी कोशिश और बदलाव की ज़रूरत है:
- स्क्रीन टाइम घटाएँ: हर रोज़ के लिए एक सीमा तय करें कि आप कितना समय स्क्रीन पर बिताएंगे.
- 'डिजिटल डीटॉक्स' करें: हफ्ते में एक दिन या कुछ घंटे के लिए सभी डिजिटल उपकरणों से दूर रहें.
- बेहतर नींद लें: सोने से एक घंटा पहले स्क्रीन देखना बंद कर दें.
- तनाव कम करें: योग, ध्यान, कसरत या कोई भी हॉबी अपनाएं जो आपको तनावमुक्त करती हो.
- असली रिश्तों पर ध्यान दें: अपने परिवार और दोस्तों के साथ क्वालिटी टाइम बिताएं.
अपनी सेहत और अपने रिश्तों को गंभीरता से लेना ज़रूरी है. याद रखें, एक संतुलित जीवन ही आपको खुशी और भविष्य के सुंदर सपने दे सकता है

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