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Up Kiran, Digital Desk: मध्य पूर्व में इज़रायल और ईरान के बीच जारी तनाव ने एक बार फिर दुनिया की चिंता बढ़ा दी है। दोनों देशों के बीच बयानबाजी और सैन्य गतिविधियों में तेजी आई है, जिससे क्षेत्र में एक बड़े संघर्ष की आशंका गहरा गई है। वैश्विक शक्तियां स्थिति को शांत करने और तनाव को कम करने के लिए राजनयिक प्रयास कर रही हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है।

तनाव की जड़ें और हालिया घटनाक्रम

इज़रायल और ईरान के बीच दुश्मनी दशकों पुरानी है, जिसकी जड़ें धार्मिक, राजनीतिक और सामरिक हितों में निहित हैं। ईरान, इज़रायल के अस्तित्व को मान्यता नहीं देता और क्षेत्र में इज़रायल विरोधी गुटों का समर्थन करता है। वहीं, इज़रायल ईरान के परमाणु कार्यक्रम और क्षेत्र में उसके बढ़ते प्रभाव को अपनी सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा मानता है।

हालिया घटनाक्रमों में सैन्य ठिकानों पर हमले और जवाबी कार्रवाई शामिल हैं, जिससे तनाव और बढ़ गया है। दोनों देश एक-दूसरे को सीधी चेतावनी दे रहे हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भय का माहौल है।

वैश्विक प्रभाव

इज़रायल और ईरान के बीच किसी भी बड़े सैन्य संघर्ष के गंभीर वैश्विक परिणाम हो सकते हैं:

तेल बाजार पर असर: मध्य पूर्व दुनिया के तेल उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा है। किसी भी संघर्ष से तेल की कीमतों में भारी उछाल आ सकता है, जिससे वैश्विक अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

क्षेत्रीय अस्थिरता: यह संघर्ष पूरे मध्य पूर्व को अस्थिर कर सकता है, जिससे अन्य देशों में भी हिंसा और अराजकता फैल सकती है।

मानवीय संकट: सैन्य कार्रवाई से बड़े पैमाने पर मानवीय संकट और विस्थापन हो सकता है।

अंतरराष्ट्रीय संबंध: यह संघर्ष अंतरराष्ट्रीय संबंधों को और जटिल बना सकता है, जिससे दुनिया भर में गठबंधन और विरोध का नया समीकरण बन सकता है।

फिलहाल, दुनिया भर की नजरें इस क्षेत्र पर टिकी हुई हैं। राजनयिक समाधान खोजने के लिए दबाव बढ़ रहा है ताकि इस अत्यधिक अस्थिर स्थिति को युद्ध में बदलने से रोका जा सके।

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