
Up Kiran, Digital Desk: कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा द्वारा गाजा में इजरायल की कार्रवाई को "नरसंहार" बताए जाने के बाद, इजरायल के राजदूत गिलाद कोहेन (Gilad Cohen) ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने प्रियंका गांधी के बयान को "शर्मनाक धोखा" और "फेक न्यूज" करार दिया है। कोहेन ने कहा कि इजरायल हमास के खिलाफ युद्ध लड़ रहा है, न कि फिलिस्तीनी नागरिकों के खिलाफ, और हमास नागरिकों का इस्तेमाल मानव ढाल के रूप में कर रहा है।
इजरायली राजदूत की तीखी प्रतिक्रिया:
इजरायली राजदूत गिलाद कोहेन ने प्रियंका गांधी के बयान की कड़ी निंदा करते हुए कहा, "यह शर्मनाक धोखा है।" उन्होंने कांग्रेस नेता पर "फेक न्यूज" फैलाने का आरोप लगाया और कहा कि इजरायल हमास के खिलाफ एक न्यायपूर्ण युद्ध लड़ रहा है। कोहेन ने इस बात पर जोर दिया कि हमास एक आतंकवादी संगठन है जो अपने नागरिकों को ढाल के तौर पर इस्तेमाल करता है, और इजरायल का लक्ष्य हमास को खत्म करना है, न कि फिलिस्तीनी लोगों को नुकसान पहुंचाना।
उन्होंने प्रियंका गांधी के बयान पर सवाल उठाते हुए पूछा कि उन्होंने हमास की उन कार्रवाइयों की निंदा क्यों नहीं की, जिनमें फिलिस्तीनी नागरिकों का भी नुकसान हुआ है। कोहेन ने "दोहरे मापदंड" और "चयनात्मक आक्रोश" की भी आलोचना की, जिसका अर्थ है कि कुछ लोग केवल इजरायल की कार्रवाइयों पर ही सवाल उठाते हैं, जबकि हमास के अपराधों को नजरअंदाज करते हैं।
प्रियंका गांधी का बयान: यह विवाद तब शुरू हुआ जब प्रियंका गांधी वाड्रा ने हाल ही में कहा, "गाजा में फिलिस्तीनियों का नरसंहार हो रहा है।" उनके इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी और इजरायली दूतावास की ओर से तुरंत प्रतिक्रिया आई।
राजनीतिक बयानबाजी और युद्ध का संदर्भ:
यह घटना इजरायल और हमास के बीच चल रहे संघर्ष के व्यापक संदर्भ में आई है। गाजा में इजरायल की सैन्य कार्रवाईयों के कारण बड़ी संख्या में फिलिस्तीनी नागरिक मारे गए हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंताएं जताई जा रही हैं। वहीं, इजरायल का कहना है कि वह हमास के खिलाफ आत्मरक्षा में कार्रवाई कर रहा है, जो 7 अक्टूबर के इजरायली हमलों के जवाब में है।
इस मुद्दे पर भारत में भी राजनीतिक बयानबाजी जारी है, जहां कांग्रेस जहां फिलिस्तीनी लोगों के प्रति सहानुभूति व्यक्त कर रही है, वहीं सत्ताधारी दल भाजपा कांग्रेस पर "आतंकवाद का समर्थन" करने का आरोप लगाता रहा है। ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर नेताओं के बयानों का गहरा प्रभाव पड़ता है और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को भी प्रभावित कर सकता है।
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