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 नई दिल्ली। जवाहर लाल विश्वविद्यालय ( जेएनयू ) कैंपस में छात्र संघ चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गयी हैं। शुक्रवार को नामांकन का अंतिम दिन है। 16 मार्च को नामांकन की सूची जारी कर दी जाएगी। आगामी 22 मार्च को छात्रसंघ चुनाव के लिए मतदान होगा और 24 मार्च को परिणाम घोषित किए जाएंगे। जेएनयू छात्रसंघ चुनाव में इस बार लगभग 8000 छात्र अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। विगत वर्षों की तरह इस साल भी वामपंथी छात्र संगठन और एबीवीपी के बीच मुख्य मुकाबला नजर आ रहा है।  वामपंथी छात्र संगठनों और एबीवीपी ने इस बार जोरदार तैयारियां की हैं।

जेएनयू छात्रसंघ चुनाव हमेशा से खासा दिलचस्प रहा है। इस बार भी सभी की निगाहें जेएनयू छात्रसंघ चुनाव पर लगी हैं। आमतौर पर JNU में लेफ्ट बनाम राइट की लड़ाई रहती है। इस बार भी वाम छात्र संगठनों और एबीवीपी के बीच मुख्य मुकाबला दिख रहा है। इस बीच अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए एबीवीपी ने कैंपस में गत बुधवार को छात्रों को फिल्म 'बस्तर - द नक्सल स्टोरी' दिखाई। वामपंथी छात्र संगठनों ने इसका सख्त विरोध किया।

गौतलब है कि जेएनयू छात्रसंघ चुनाव में वामपंथी छात्र संगठनों का दबदबा रहा है। जानकारी के मुताबिक़ इस बार चारों वाम संगठन आइसा, एआईएसएफ, डीएसएफ और एसएफआई एक साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे और एक ही बैनर के तहत छात्रों के बीच प्रचार करेंगे। इस बैनर को लेफ्ट यूनिटी का नाम दिया गया है। वहीँ एबीवीपी का कहना है कि इस बार उसने पहले की तुलना में छात्रों के बीच मजबूत पैठ बना‌ ली है। हम सेन्ट्रल पैनल में जीतेंगे।

जानकारों का मानना है कि लोकसभा चुनाव के ठीक पहले हो रहे जेएनयू छात्रसंघ चुनाव कई मायनों में अहम होगा। फिलहाल, जेएनयू कैम्पस में चुनावी सरगर्मियां चरम पर हैं। लेफ्ट यूनिटी के समर्थन में जेएनयू पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार समेत कई पूर्व छात्र नेता सभा करेंगे। इसी तरह एबीवीपी प्रत्याशियों के समर्थन में बीजेपी के कई कद्दावर नेता जेएनयू कैंपस में नजर आएंगे। 

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