Up Kiran, Digital Desk: भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने आतंकवाद के मुद्दे पर पश्चिमी देशों के 'दोहरे मापदंड' पर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने उन देशों पर निशाना साधा जो आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख का खुलकर समर्थन नहीं करते, बल्कि राजनीतिक सुविधा के अनुसार अपनी प्राथमिकताएं तय करते हैं।
'अच्छा' या 'बुरा' आतंकवाद नहीं होता:
जयशंकर ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि दुनिया को यह स्वीकार करना होगा कि आतंकवाद का कोई 'अच्छा' या 'बुरा' स्वरूप नहीं होता। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ पश्चिमी देश अपनी सुविधा के अनुसार आतंकवादियों के समूहों का चयन करते हैं। उनका ध्यान केवल उन्हीं आतंकवादी समूहों पर होता है जो सीधे तौर पर उनके हितों या सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करते हैं, जबकि जो समूह उनके मित्र देशों (जैसे भारत) के लिए खतरा बनते हैं, उन्हें अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है या उन पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जाता।
भारत का सुसंगत रुख:
भारत लंबे समय से आतंकवाद के खिलाफ 'शून्य सहिष्णुता' की नीति अपना रहा है और वैश्विक समुदाय से आतंकवादियों और उन्हें समर्थन देने वालों के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान करता रहा है। जयशंकर ने जोर देकर कहा कि आतंकवाद एक वैश्विक खतरा है और इसे पूरी तरह से, बिना किसी भेदभाव के खत्म किया जाना चाहिए।
दोहरे रवैये के दुष्परिणाम:
विदेश मंत्री ने चेतावनी दी कि यह दोहरा रवैया आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक प्रयासों को कमजोर करता है और आतंकवादियों को और अधिक प्रोत्साहन देता है क्योंकि वे जानते हैं कि उन्हें कुछ क्षेत्रों में ढील मिल सकती है। उन्होंने कहा कि यह पाखंड है और इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।
एकजुटता की अपील:
जयशंकर ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि वे राजनीतिक लाभ को दरकिनार कर आतंकवाद के खिलाफ एक एकीकृत और अडिग रुख अपनाएं। यह आवश्यक है कि सभी देश मिलकर इस चुनौती का सामना करें, तभी दुनिया को इस खतरे से मुक्ति मिल सकेगी। उनका यह बयान वैश्विक मंचों पर भारत की बढ़ती मुखरता और आतंकवाद पर उसके दृढ़ रुख को दर्शाता है
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