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Janmashtami 2024: श्री कृष्ण के जन्म का उत्सव, जन्माष्टमी हिंदू संस्कृति में सबसे ज्यादा पूजनीय त्योहारों में से एक है। इस दिन कई तरह के अनुष्ठान किए जाते हैं, जिसमें उपवास, भक्ति गीत गाना और कृष्ण के जीवन के दृश्यों का अभिनय करना शामिल है। इन अनुष्ठानों में से एक सबसे महत्वपूर्ण है श्री कृष्ण को छप्पन भोग चढ़ाना - 56 व्यंजनों का एक भव्य भोज। ये रिवाज न केवल एक पाक-कला का आनंद है, बल्कि गहरे आध्यात्मिक महत्व से भी जुड़ी हुई है।

क्या है छप्पन भोग

छप्पन भोग श्री कृष्ण को जन्माष्टमी के दिन अर्पित किया जाने वाला अहम भोजन है। इस अनूठी श्रृंखला में पाँचों स्वादों - मीठा, खट्टा, तीखा, नमकीन और कड़वा के साथ-साथ उमामी शामिल हैं, जो अपने आप में बहुत खास  है।

छप्पन भोग की उत्पत्ति

छप्पन भोग चढ़ाने की परंपरा श्री कृष्ण के बचपन के समय से चली आ रही है, जब वे वृंदावन के गांव में रहते थे। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, बचपन में कृष्ण को मक्खन और अन्य व्यंजनों से बेहद प्यार था। 56 व्यंजनों के पीछे की कहानी गोवर्धन पर्वत की घटना से शुरू होती है।

गोवर्धन पूजा की पौराणिक कथा

किंवदंती है कि वृंदावन के लोग अच्छी फसल के लिए आभार प्रकट करने के लिए बारिश के देवता भगवान इंद्र की पूजा करते थे। हालांकि, युवा कृष्ण ने उन्हें गोवर्धन पर्वत की पूजा करने की सलाह दी, क्योंकि इससे उन्हें भोजन, पानी और आश्रय जैसे संसाधन मिलते थे। इससे क्रोधित होकर इंद्र ने गांव में मूसलाधार बारिश कर दी, ताकि गांव में बाढ़ आ जाए। ग्रामीणों की रक्षा के लिए, कृष्ण ने पूरे गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया, जिससे सात दिन और रात तक उन्हें आश्रय मिला।

इन सात दिनों के दौरान, ग्रामीण हमेशा की तरह भोजन तैयार नहीं कर पाए, और वे इस बात को लेकर बहुत चिंतित थे कि कृष्ण को कैसे खिलाएँ। ऐसा माना जाता है कि जब बारिश बंद हो गई और गाँव सुरक्षित हो गया, तो ग्रामीणों ने कृतज्ञता और भक्ति के प्रतीक के रूप में कृष्ण को 56 व्यंजनों का भव्य भोज दिया। इस भोज को छप्पन भोग (हिंदी में छप्पन का अर्थ 56 और भोग का अर्थ है भेंट) के रूप में जाना जाता है।

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