Jhansi Hospital Tragedy: झांसी अस्पताल के बच्चा वार्ड में भीषण आग लग गई। इस आग में 10 नवजात मासूमों की मौत हो गई। कई लोग घायल भी हुए हैं। इस घटना ने सभी को हिला कर रख दिया है। इसी बीच मोहम्मद याकूब ने हिम्मत दिखाई और फरिश्ता बनकर दूसरे बच्चों की जान बचाई। मगर उनके साथ एक बेहद दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटी है। उन्होंने आग से बाकी बच्चों की जान तो बचा ली मगर अपनी दो बेटियों को खो दिया।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 20 साल का मोहम्मद याकूब शुक्रवार की रात उन लोगों के लिए देवदूत था, जिनके बच्चे बच गए। मगर, दूसरों की जान बचाने वाला अपनी ही नवजात जुड़वां बच्चियों को नहीं बचा सका। महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के नवजात आईसीयू वार्ड के बाहर हमीरपुर का मोहम्मद याकूब अपनी पत्नी नजमा के साथ एक हफ्ते तक रहा।
शुक्रवार रात आग लगने पर मोहम्मद याकूब ने खिड़की तोड़ दी। उन्होंने जान-माल की हानि रोकने और बच्चों को बचाने के लिए कदम उठाया। जिन बच्चों को उन्होंने मृत्यु के द्वार से बचाया उनमें उनकी दो बेटियाँ नहीं थीं। वह अपनी ही बेटियों को नहीं बचा सके। आग में दस बच्चों की मौत हो गई। साथ ही कई लोगों को सुरक्षित बचाया गया है।
आपको बता दें कि झाँसी के मेडिकल कॉलेज में आग लगने की घटना में 10 नवजात शिशुओं की मौत की जांच के लिए सरकार द्वारा गठित समिति की रिपोर्ट अब तैयार हो गई है। सूत्रों के मुताबिक मेडिकल कॉलेज की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है और इसमें किसी तरह की साजिश या लापरवाही सामने नहीं आई है। घटना के वक्त एनआईसीयू वार्ड में 6 नर्सें, अन्य स्टाफ और 2 महिला डॉक्टर मौजूद थीं। स्विच बोर्ड में शॉर्ट सर्किट से चिंगारी निकली और आग लग गई।
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