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jharkhand news: टाटानगर रेलवे स्टेशन के फुटपाथ से 16 दिन पहले तीन लोगों को पुलिस ने चोरी के आरोप में अरेस्ट किया था। मगर आज तक न तो उन्हें रिहा किया गया और न ही जेल भेजा गया। इस प्रकरण ने न केवल पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि दो पत्नियों की संघर्ष की कहानी को भी उजागर किया है, जो अपने पतियों को इंसाफ दिलाने के लिए दर-दर की खाक छान रही हैं।

राधा वैध और ज्योति वैध दोनों सहोदर भाइयों कपित और राणा वैध की पत्नियां बीते कई दिनों से अपने पतियों की स्थिति को लेकर चिंतित थीं। दोनों भाई हर साल ठंड के मौसम में आसनसोल से टाटानगर आते हैं, जहां वे फुटपाथ पर रहकर छोटे-मोटे काम करते हैं और भीख मांगते हैं। जब 1 फरवरी को उनके पतियों का पता नहीं चला, तो पत्नी ने स्थानीय लोगों से जानकारी जुटाई। उन्हें पता चला कि पुलिस ने उन्हें और उनके साथी दुसाल चौधरी को उठाकर ले गई है।

इस केस में राधा वैध ने 12 फरवरी को एसएसपी को ज्ञापन सौंपकर अपने पति की रिहाई की गुहार लगाई। उन्होंने बताया कि पुलिस का कहना है कि जब तक पूछताछ पूरी नहीं हो जाती, तब तक उन्हें छोड़ा नहीं जाएगा। हालांकि, दोनों पत्नियों ने यह स्पष्ट किया है कि उनके पतियों का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है और उनके पास कोई ठोस सबूत नहीं है कि वे फोन चोरी में शामिल थे।

सोमवार को जब राधा और ज्योति पुराना कोर्ट पहुंचीं, तो उन्होंने अपनी व्यथा सुनाई। राधा ने कहा कि हमारे पति निर्दोष हैं। हमारी तीन छोटे बच्चे हैं, और उन्हें देखकर हमारा दिल टूटता है। हमें नहीं पता कि वे किस हालात में हैं।

इस मामले ने पुलिस के कामकाज और न्याय प्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। क्या पुलिस बिना सबूत के किसी को इतनी देर तक हिरासत में रख सकती है? क्या ये मानवाधिकारों का उल्लंघन नहीं है?

स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिस की ये कार्रवाई सही नहीं है और इसे तत्काल रोकने की आवश्यकता है। कई लोगों का मानना है कि अगर कोई अपराध हुआ है, तो उसे उचित तरीके से जांचा जाना चाहिए, न कि लोगों को बिना किसी ठोस आधार के हिरासत में रखना चाहिए।