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Up Kiran, Digital Desk: तेलंगाना की राजनीति में एक बार फिर भूचाल आ गया है। भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) से निलंबन के बाद के. कविता ने न सिर्फ पार्टी को अलविदा कहा, बल्कि अपना एमएलसी पद भी छोड़ दिया। सवाल उठता है — क्या यह महज एक राजनीतिक विरोध है या फिर बीआरएस के भीतर चल रही आंतरिक खींचतान का खुला प्रदर्शन?

तिहाड़ से रिहाई के बाद बदला रुख

हैदराबाद में पत्रकारों से बात करते हुए के. कविता ने साफ किया कि वह तिहाड़ जेल से रिहा होने के बाद से ही जनता के मुद्दों के लिए सक्रिय हैं। उन्होंने कहा, “मैंने जनहित के लिए अपनी आवाज़ उठाई है। चाहे वो बेरोज़गारी हो या भ्रष्टाचार, मैं हर मुद्दे पर मुखर रही हूं।” उन्होंने अपने बयान से यह संकेत दिया कि अब वह एक स्वतंत्र और दृढ़ भूमिका में नजर आएंगी।

भाई ने नहीं दिया साथ: कविता का आरोप

कविता ने भावुक होकर कहा कि जब उन पर दुर्भावनापूर्ण आरोप लगाए गए, तब उनके अपने भाई रामाराव ने भी उनका साथ नहीं दिया। यह बयान न सिर्फ पारिवारिक रिश्तों में दरार दिखाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि बीआरएस अब पहले जैसा संगठित दल नहीं रहा।

“बीआरएस निलंबन एक साजिश”: कविता का बड़ा आरोप

अपने निलंबन को लेकर के. कविता ने सीधे-सीधे कहा कि यह सब बीआरएस पर पूरी तरह नियंत्रण स्थापित करने की एक साजिश है। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी अब उन लोगों के हाथों में है जो निजी फायदे के लिए काम कर रहे हैं। कविता ने इशारों-इशारों में यह साफ किया कि पार्टी में कुछ नेता केसीआर की छवि को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

चचेरे भाइयों पर गंभीर आरोप

कविता ने अपने चचेरे भाई और पूर्व सिंचाई मंत्री टी. हरीश राव पर भ्रष्टाचार और अवैध संपत्ति अर्जित करने के आरोप लगाए। साथ ही, उन्होंने पूर्व सांसद जे. संतोष कुमार पर भी आरोप लगाया कि दोनों ने मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के साथ मिलकर एक गुप्त समझौता किया है। उन्होंने दावा किया कि इस गठजोड़ का मकसद सिर्फ एक ही था — केसीआर को कमजोर करना।

“केसीआर बेदाग हैं”: बेटी का समर्थन

अपने पिता का बचाव करते हुए कविता ने कहा कि केसीआर किसी भी जांच में बेदाग निकलेंगे। उन्होंने भावुक स्वर में कहा, “एक बेटी के लिए यह बेहद तकलीफदेह है कि उसके पिता को उनके ही करीबी लोगों द्वारा निशाना बनाया जाए।” उनका यह बयान स्पष्ट करता है कि वे अब व्यक्तिगत और राजनीतिक दोनों स्तरों पर लड़ने को तैयार हैं।

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