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Up Kiran, Digital Desk: आजकल हम देखते हैं कि भारतीय सिनेमा में क्षेत्रीय फिल्में (Regional Films) धमाकेदार प्रदर्शन कर रही हैं, और कभी-कभी तो वे बड़े बजट की बॉलीवुड फ़िल्मों को भी टक्कर देती दिख रही हैं। इसी विषय पर हमारे देश के जाने-माने और अनुभवी अभिनेता अनुपम खेर ने एक बहुत ही ख़ास और महत्वपूर्ण बात कही है। उन्होंने इस बात पर रोशनी डाली है कि कैसे क्षेत्रीय फिल्में उन 'भारतीय कहानियों' को फिर से ज़िंदा कर रही हैं, जिन्हें बॉलीवुड ने शायद अनदेखा कर दिया था या उन पर ध्यान नहीं दिया था। यह बात वाकई सोचने वाली है और भारतीय सिनेमा के भविष्य को लेकर एक बड़ा संकेत भी देती है।

अनुपम खेर ने हमेशा सिनेमा की बारीकियों और उसके बदलावों को करीब से देखा है। उनका मानना है कि बॉलीवुड अक्सर कुछ ख़ास तरह की कहानियों या बड़े ग्लैमरस फ़िल्मों पर ज़्यादा ध्यान देता रहा है। इस दौरान, भारत की सांस्कृतिक विरासत, उसके छोटे शहरों की कहानियाँ, लोकल हीरोज़ की प्रेरणादायक बातें, या गहरे सामाजिक मुद्दे, कई बार बड़े परदे से दूर रह गए। लेकिन अब क्षेत्रीय सिनेमा, जैसे दक्षिण भारतीय फिल्में (तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम), मराठी या बंगाली सिनेमा, इन्हीं छूटी हुई कहानियों को दमदार तरीके से पेश कर रहा है।

आखिर क्षेत्रीय फिल्में ऐसा क्या कर रही हैं, जो बॉलीवुड ने छोड़ दिया था?

ज़मीनी कहानियों पर ज़ोर: क्षेत्रीय फ़िल्में अक्सर भारत की ज़मीन से जुड़ी कहानियाँ दिखाती हैं। वे आम आदमी के जीवन, उनके संघर्षों, सपनों और सामाजिक ताने-बाने को बहुत गहराई से चित्रित करती हैं।

सांस्कृतिक पहचान: ये फिल्में अपनी क्षेत्रीय भाषाओं और संस्कृतियों को गर्व से दिखाती हैं, जिससे दर्शकों को अपनेपन का एहसास होता है। यह भारतीय संस्कृति की विविधता को एक बड़े मंच पर लाने में मदद करता है।

असली मुद्दे: क्षेत्रीय सिनेमा बिना किसी डर के सामाजिक, राजनीतिक या व्यक्तिगत रूप से संवेदनशील मुद्दों को उठाता है, जो अक्सर बड़े कमर्शियल फ़िल्मी ढाँचे में फिट नहीं हो पाते।

ताज़ा प्रतिभाएँ: ये फ़िल्में कई नई प्रतिभाओं, अभिनेताओं और निर्देशकों को मौका देती हैं, जो नई सोच और रचनात्मकता के साथ सामने आते हैं।

अनुपम खेर का यह बयान इस बात का सीधा संकेत है कि भारतीय सिनेमा अब सिर्फ़ बॉलीवुड तक सीमित नहीं है। क्षेत्रीय फिल्में अब अपनी पहचान बना रही हैं और दर्शकों को नई और meaningful (सार्थक) कहानियाँ दे रही हैं। यह प्रतिस्पर्धा भारतीय सिनेमा के लिए एक अच्छा संकेत है, क्योंकि इससे हर तरह की कहानियां दर्शकों तक पहुँचेंगी और सिनेमा को और ज़्यादा विविधता मिलेगी।

अनुपम खेर ने क्षेत्रीय फिल्मों की सराहना क्यों की बॉलीवुड ने किन भारतीय कहानियों को अनदेखा किया क्षेत्रीय सिनेमा का भारतीय संस्कृति को दर्शाना साउथ इंडियन फिल्म्स का बॉलीवुड पर प्रभाव क्षेत्रीय सिनेमा के सफलता के कारण अनुपम खेर का भारतीय सिनेमा पर दृष्टिकोण क्षेत्रीय फिल्मों में जमीनी हकीकत का चित्रण बॉलीवुड और क्षेत्रीय फिल्मों के बीच तुलना नई प्रतिभाओं को क्षेत्रीय सिनेमा में अवसर अनुपम खेर के बयान का विश्लेषण भारतीय सिनेमा. Why Anupam Kher praises regional films what Indian stories Bollywood overlooked regional cinema depicting Indian culture impact of South Indian films on Bollywood reasons for success of regional cinema Anupam Kher's perspective on Indian cinema portrayal of grassroots realities in regional films comparison between Bollywood and regional films opportunities for new talent in regional cinema analysis of Anupam Kher's statement on Indian cinema.