
Up Kiran, Digital Desk: तेलंगाना सरकार इस समय एक बड़ी सिरदर्दी से जूझ रही है। राज्य की महत्वाकांक्षी और विवादित कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना से जुड़ी कई अहम फाइलें राज्य सचिवालय (बीआरकेआर भवन) से 'गायब' हो गई हैं। ये फाइलें इतनी महत्वपूर्ण हैं कि इनके बिना परियोजना की जांच और आगे की योजना बनाना मुश्किल हो रहा है।
जानकारी के मुताबिक, ये फाइलें मुख्य रूप से सिंचाई विभाग के उन अनुभागों से संबंधित हैं जो कालेश्वरम परियोजना का काम देख रहे थे। चौंकाने वाली बात यह है कि ये फाइलें चोरी नहीं हुई हैं, बल्कि सचिवालय में विभागों के पुनर्गठन और शिफ्टिंग के दौरान कथित तौर पर 'लापता' हो गई हैं।
इन लापता फाइलों की अहमियत इसलिए भी बढ़ जाती है क्योंकि कालेश्वरम परियोजना पहले से ही कई जांचों के दायरे में है। लोकायुक्त, सतर्कता विभाग (विजिलेंस), भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) और विभिन्न आयोगों द्वारा परियोजना में कथित अनियमितताओं की जांच चल रही है। इन फाइलों में निविदाओं (टेंडरों), अनुबंधों (कॉन्ट्रैक्ट्स) और खर्चों से जुड़े अहम दस्तावेज हैं, जो पिछली सरकार (बीआरएस) के कार्यकाल से संबंधित हैं। इनके बिना जांच एजेंसियां अपनी तहकीकात कैसे आगे बढ़ाएंगी, यह एक बड़ा सवाल है।
मौजूदा रेवंत रेड्डी सरकार, जो परियोजना की खामियों को उजागर करने में जुटी है, इन फाइलों के न मिलने से परेशान है। अधिकारियों का कहना है कि पुरानी फाइलों का विशाल ढेर अव्यवस्थित तरीके से स्थानांतरित किया गया था, जिससे उन्हें ढूंढना बेहद मुश्किल हो रहा है।
एक तरफ जहां सरकार इन फाइलों को ढूंढने की जद्दोजहद कर रही है, वहीं विपक्ष को भी हमला बोलने का मौका मिल गया है। कांग्रेस और बीजेपी जैसी विपक्षी पार्टियां निश्चित रूप से इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाएंगी और सरकार पर पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाएंगी। यह घटना न केवल सरकारी कामकाज की दक्षता पर सवाल उठाती है, बल्कि आने वाले समय में तेलंगाना की राजनीति में एक नया तूफान खड़ा कर सकती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस 'फाइल-फाइल' के खेल से कैसे निपटती है।
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