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Kangana Ranaut: हिमाचल प्रदेश के मंडी लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी सांसद कंगना रनौत की मुश्किल एक बार फिर बढ़ गई है। मध्य प्रदेश की एक अदालत ने एक बयान मामले में कंगना को सीधे नोटिस भेजकर जवाब देने को कहा है। यह विवाद 2021 में दिए गए कंगना के एक बयान से शुरू हुआ है। कंगना ने 1947 में मिली आजादी को भीख मांगने जैसा बताया। इस बयान से आहत होकर वकील अमित साहू ने शिकायत दर्ज कराई है। अब कोर्ट ने कंगना से इस बयान पर जवाब मांगा है। इस मामले की अगली सुनवाई 5 नवंबर को होगी।

मध्य प्रदेश के जबलपुर की विशेष अदालत के न्यायाधीश विश्वेश्वरी मिश्रा ने सोमवार को मामले की सुनवाई की। कोर्ट में कहा गया कि कंगना का बयान सही नहीं है। इसके साथ ही कोर्ट ने कंगना रनौत को नोटिस भी जारी किया है। कोर्ट ने इस बयान को लेकर कंगना से जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 5 नवंबर को होगी। अगली सुनवाई में कोर्ट तय कर सकता है कि कंगना के बयान पर कैसे कार्रवाई की जाए। हालांकि, कंगना रनौत ने अपने इस बयान पर माफी मांग ली है।

वकील अमित साहू ने 2021 में कंगना के खिलाफ कोर्ट में शिकायत दर्ज कराई थी। साहू ने अपनी दलील में कहा है कि कंगना का बयान शर्मनाक है। स्वतंत्रता सेनानियों के त्याग और बलिदान से आजादी हासिल हुई। कंगना का बयान देश के शहीद जवानों का अपमान है। वकील साहू ने कहा था कि ये गलत है। इसके साथ ही वकील अमित साहू ने कोर्ट से कंगना के खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश देने का अनुरोध किया है।

1947 में भारत को जो आज़ादी मिली वह एक भीख थी। सच्ची आज़ादी तभी मिली जब 2014 में नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने,' सांसद कंगना रनौत ने कहा। कंगना के बयान के बाद विपक्ष और आम नागरिकों में गुस्से की लहर दौड़ गई। कंगना ने आजादी के लिए बलिदान देने वालों का अपमान किया है। इसलिए मांग की गई कि उनका पद्मश्री पुरस्कार वापस ले लिया जाए। लेकिन उस पर भी कंगना ने सवाल उठाया था कि 1947 में कौन सा युद्ध लड़ा गया था। विवाद बढ़ता देख कंगना ने माफी मांगी।

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