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कुछ दिन पहले ईरान से ऑपरेशन सिंधु के तहत सुरक्षित लौटे जम्मू–कश्मीर के लगभग 90 छात्र—जो विशेष विमान से यरवेन होते हुए दिल्ली पहुँचे—उनकी यात्रा दिल्ली से कश्मीर तक बस द्वारा करवाई जाती रही। लेकिन उन्हें जितनी सुविधा की उम्मीद थी, वैसा कुछ न मिला। छात्रों ने बताया कि बसें बहुत जर्जर थीं, सीटों की हालत खराब थी और कैरी-बैग रखने की जगह तक उपलब्ध नहीं थी।

छात्रों ने आरोप लगाया कि ट्रैवल का समय तीन दिन से लगातार चल रहा था, और उन्हें उम्रदराज या बीमार छात्रों के लिए उपयुक्त व्यवस्था तक नहीं दी गई थी। खासकर ऐसी हालत में जब वे एक लंबे, संभावित तनावपूर्ण और थका देने वाले सफर के बाद घर लौट रहे थे, बसों की हालत से उनका अनुभव और खराब हो गया।

इस पर जम्मू–कश्मीर के मुख्यमंत्री ओमर अब्दुल्ला ने सख्त प्रतिक्रिया दी। उन्होंने केंद्र और दिल्ली सरकार से तुरंत नई, वॉयलेट-कोच (deluxe) बसों की व्यवस्था करने को कहा। उन्होंने आश्वासन दिया कि अब त्रुटिपूर्ण बसों की जगह आरामदायक और सुरक्षित बसों द्वारा छात्रों को घर तक पहुंचाया जाएगा  ।

इस पूरे प्रकरण के मद्देनजर, छात्रों के परिवार और प्रदेश के अन्य छात्र संगठन भी केंद्र सरकार से दोषपूर्ण व्यवस्था के लिए मुआवजे तथा भविष्य में बेहतर सहायता की मांग कर रहे हैं।

ऑपरेशन सिंधु की बात करें तो यह भारत सरकार की ओर से ईरान–इज़राइल युद्ध की स्थिति के चलते शुरू की गई मानवता आधारित एयरलिफ्ट मिशन है। इसके तहत पहले चरण में 110 भारतीय नागरिकों, जिनमें कई मेडिकल छात्रों समेत कश्मीर से लगभग 90 छात्र भी शामिल थे, को 17‑18 जून को यरवेन स्थित आर्मेनिया होते हुए सुरक्षित दिल्ली लाया गया ।

सरकार की अगली कार्रवाई

1. बसों की जल्द व्यवस्था: CM ने गुणवत्ता वाले डीलक्स कोच उपलब्ध कराने का वादा किया।


2. छात्रों से संवाद: ट्रिप के दौरान अनुभव जानने के लिए छात्र नेताओं को बुलाया जाएगा।


3. भविष्य की योजनाएँ: ऐसी हालात से बचने के लिए यात्राओं की प्रबंधन और तैयारी में सुधार की चिंता जताई जा रही है।

 

इन प्रयासों से उम्मीद है कि ईरान से लौटे छात्र अब सुरक्षित, आरामदायक और सम्मानजनक सुविधा के साथ अपने घर लौट सकेंगे, और भविष्य में भी ऐसी असुविधा से बचा जा सके।

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