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केदारनाथ धाम भारत के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है, जिसे शिवभक्त 'आदियोगी भगवान शिव' का साक्षात वास मानते हैं। यह स्थल उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है और हिमालय की गोद में बसा यह मंदिर आध्यात्मिक उन्नति और आत्मिक शांति का केंद्र माना जाता है। हर साल करोड़ों श्रद्धालु बाबा के दर्शनों के लिए यहाँ आते हैं।

2025 में 2 मई को बाबा केदारनाथ धाम के कपाट खोले जाएंगे, जिससे भक्तों के लिए दर्शन की शुरुआत होगी। कपाट खुलते ही चारधाम यात्रा का शुभारंभ भी हो जाएगा। लेकिन इस शुभ अवसर से पहले बाबा की पंचमुखी डोली यात्रा एक विशेष धार्मिक परंपरा के तहत उनके शीतकालीन निवास से मंदिर परिसर तक लाई जाती है। आइए जानते हैं इस पवित्र यात्रा और अन्य महत्वपूर्ण जानकारियों के बारे में।

 ओंकारेश्वर मंदिर से शुरू हुई डोली यात्रा

बाबा केदार की पंचमुखी डोली की यात्रा 28 अप्रैल 2025 को शुरू हुई। यह डोली रुद्रप्रयाग जिले के उखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर से निकली। यह स्थान केदारनाथ जी का शीतकालीन निवास स्थल है, जहां सर्दियों में बाबा की पूजा-अर्चना होती है।

क्यों खास है ओंकारेश्वर मंदिर?
ओंकारेश्वर मंदिर को केदारनाथ मंदिर का वैकल्पिक पूजा स्थल माना जाता है। जब सर्दियों में केदारनाथ मंदिर बर्फ से ढक जाता है और बंद हो जाता है, तब बाबा की पंचमुखी मूर्ति यहीं लाई जाती है, और छह महीनों तक यहीं परंपरागत पूजा होती है।

28 अप्रैल को क्या हुआ?
सुबह 10:30 बजे डोली को वैदिक मंत्रोच्चार, पंच स्नान और विशेष श्रृंगार के बाद भक्तिमय धुनों के साथ रवाना किया गया। भारतीय सेना के बैंड की धुनें और 'जय बाबा केदार' के जयघोषों से वातावरण भक्तिमय हो गया। मंदिर समिति के पदाधिकारी, पुजारीगण, वेदपाठी और हजारों श्रद्धालु इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बने।

 डोली यात्रा का मार्ग और पड़ाव

डोली यात्रा न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक अनुभव भी है। 28 अप्रैल को आरंभ हुई यह यात्रा चार प्रमुख स्थानों पर रात्रि विश्राम करती हुई 1 मई को केदारनाथ धाम पहुंचेगी।

डोली यात्रा के प्रमुख पड़ाव:

28 अप्रैल: ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ से प्रस्थान

29 अप्रैल: रात्रि विश्राम - गुप्तकाशी

30 अप्रैल: रात्रि विश्राम - फाटा

1 मई: रात्रि विश्राम - गौरीकुंड

2 मई: डोली केदारनाथ धाम पहुंचेगी

हर पड़ाव पर स्थानीय श्रद्धालु बाबा के स्वागत के लिए जुटते हैं, और वातावरण मंत्रमुग्ध कर देने वाला हो जाता है। बाबा की डोली फूलों से सजी होती है और इसे कंधों पर उठाकर ले जाया जाता है। यह दृश्य देखने मात्र से ही मन में भक्ति और शांति का संचार हो जाता है।

 कब खुलेंगे केदारनाथ धाम के कपाट?

2 मई 2025 को, वैशाख मास की पंचमी तिथि के पावन दिन, केदारनाथ मंदिर के कपाट भक्तों के लिए खोल दिए जाएंगे। यह शुभ कार्य सुबह लगभग 7 बजे संपन्न होगा। इस पवित्र दिन हजारों श्रद्धालु मंदिर परिसर में उपस्थित रहते हैं, और भगवान के पहले दर्शन को पाने के लिए घंटों पहले ही पंक्ति में लग जाते हैं।

कपाट खुलते ही छह महीने के लिए भगवान शिव के दर्शन के द्वार खुल जाते हैं।

यह समय न केवल आध्यात्मिक यात्रा का होता है, बल्कि हिमालय की अलौकिक शांति और शक्ति को महसूस करने का भी।

 चारधाम यात्रा की शुरुआत

केदारनाथ के कपाट खुलने के दो दिन बाद, 4 मई को बद्रीनाथ धाम के कपाट भी खोल दिए जाएंगे। इससे चारधाम यात्रा – केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री – का पूर्ण रूप से शुभारंभ हो जाएगा। यह यात्रा हर वर्ष वैशाख से कार्तिक मास तक चलती है और भारत ही नहीं, विश्वभर के श्रद्धालु इसमें भाग लेते हैं।

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