धर्म डेस्क। सनातन धर्म में हर दिन एवं हर पल पर्व होते हैं और हर पर्व की अपनी महत्ता होती है। इन पर्वों में एक है परिवर्तिनी एकादशी। परिवर्तिनी एकादशी भादौं माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इस साल परिवर्तिनी एकादशी 14 सितंबर दिन शनिवार को पड़ रही है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा और व्रत करने से सभी पापों से मुक्ति मिलने के साथ ही मोक्ष की भी प्राप्ति होती है। मान्यता के अनुसार इस तिथि पर भगवान विष्णु पाताललोक में चातुर्मास की योग निद्रा के दौरान करवट बदलते हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार परिवर्तिनी एकादशी तिथि का आरंभ 13 सितंबर दिन शुक्रवार को रात 10 बजकर 30 मिनट से होगा और और 14 सितंबर दिन शनिवार को रात 8 बजकर 41 मिनट पर समापन होगा। उदया तिथि के अनुसार परिवर्तिनी एकादशी का व्रत 14 सितंबर को और पारण 15 सितंबर को सुबह 6 बजकर 6 मिनट से 8 बजकर 34 मिनट तक किया जा सकता है।
शास्त्रों एवं लोक मान्यता के अनुसार परिवर्तिनी एकादशी के दिन व्रत करने से व्रती के जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं। अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन स्नान दान करने से भगवान विष्णु व्रती के आर्थिक कष्ट दूर कर सुख समृद्धि से भर देते हैं। इस व्रत का पालन करने वालों को सांसारिक जीवन के बाद भगवान विष्णु के चरणों में स्थान मिलता है।
विधि परिवर्तिनी एकादशी के दिन प्रातः उठकर स्नान कर सूर्य को जल देकर व्रत करने का संकल्प लें। उसके बाद लकड़ी की चौकी पर पीला या लाल कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित कर भगवान का पंचामृत से अभिषेक करें। पूजा करें। उसके बाद विष्णु भगवान को पीले फल, पीले फूल चढ़ाएं और साथ ही धूप, दीप और नैवेद्य आदि अर्पित करें। अंत में एकादशी व्रत कथा का पाठ करें। कथा के पाठ के बाद भगवान विष्धु की आरती कर प्रसाद का वितरण करें।
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