
Up Kiran, Digital Desk: पूर्व पुडुचेरी उपराज्यपाल किरन बेदी ने दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के 'जन सुनवाई' (public hearing) कार्यक्रम को विकेंद्रीकृत (decentralise) करने के फैसले का स्वागत किया है। बेदी ने कहा कि इस तरह की पहलें, यदि विधायक, पार्षद और वरिष्ठ नौकरशाह भी अपना लें, तो शासन में क्रांति ला सकती हैं।
यह फैसला तब आया जब मुख्यमंत्री गुप्ता पर जन सुनवाई के दौरान उनके कैंप ऑफिस में हमला हुआ था। इस घटना के जवाब में, मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी कि अब यह कार्यक्रम केवल उनके निवास पर ही नहीं, बल्कि हर विधानसभा क्षेत्र में आयोजित किया जाएगा।
किरन बेदी ने पीटीआई को बताया, "यह सही दृष्टिकोण है, दिल्ली की सीएम का यह एक सकारात्मक कदम है। ऐसी घटना पर यह एक अच्छा जवाब है, और क्यों न इस तरह के दृष्टिकोण को विकेंद्रीकृत किया जाए?"
नेताओं को जनता से जुड़ने का आह्वान
2015 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में बीजेपी की मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार रह चुकीं बेदी ने चुनावी अभियानों का उदाहरण देते हुए कहा कि चुने जाने के बाद नेताओं को सीधे लोगों से जुड़ने से कतराना नहीं चाहिए।
"जब चुनाव के समय प्रतिनिधि वोट मांगने निकलते हैं, तो क्या उन्हें किसी चीज का डर होता है? वे निडर होकर जाते हैं और जोखिम उठाते हैं। तो फिर जब जनता ने उन्हें चुना है, तो वे ऐसा क्यों नहीं कर सकते? सभी विधायकों और यहाँ तक कि नगर निगम पार्षदों को भी एक निश्चित समय पर यह जन सुनवाई शुरू करनी चाहिए, और वरिष्ठ नौकरशाहों को भी ऐसी जन सुनवाई करनी चाहिए," उन्होंने कहा।
बेदी ने आगे कहा कि कई वरिष्ठ अधिकारी पहले से ही नागरिकों से बातचीत करते हैं, लेकिन इस तरह की प्रथाओं को संस्थागत रूप देना, कम से कम एक घंटे के लिए, "शहर के शासन में क्रांति ला सकता है।"
सुरक्षा पर क्या कहती हैं किरण बेदी?
सुरक्षा संबंधी चिंताओं पर उन्होंने कहा कि निर्वाचित प्रतिनिधियों को उन लोगों से नहीं डरना चाहिए जिन्होंने उन्हें सत्ता में लाया है।
"अगर आपने जन सुनवाई का वादा किया है, तो आप लोगों को सुनना बंद नहीं कर सकते। हमारे पास प्रणालियाँ मौजूद हैं, और आज हमारे पास बहुत सारे कैमरे हैं। अगर कुछ होता भी है, तो हम उससे निपट लेंगे," उन्होंने कहा।
गुप्ता ने दृढ़ता से कहा था कि वे कभी भी दिल्ली को नहीं छोड़ेंगी और अपने जीवन का "हर पल" शहर के लोगों के लिए समर्पित करेंगी।
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