
Up Kiran, Digital Desk: ब्रिटेन ने 'पहले डीपोर्ट करो, फिर अपील करो' (Deport Now, Appeal Later) की नीति के तहत भारत को अपनी सूची में शामिल कर लिया है। यह कदम ब्रिटेन में मौजूद विदेशी अपराधियों के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है, क्योंकि अब उन्हें कानूनी प्रक्रिया पूरी होने से पहले ही देश निकाला जा सकता है। इस नीति का उद्देश्य Immigration System को सुव्यवस्थित करना और देश की सुरक्षा को मजबूत करना है।
'डीपोर्ट नाउ, अपील लेटर' क्या है?
यह नीति उन विदेशी नागरिकों पर लागू होती है जिन्होंने ब्रिटेन में गंभीर अपराध किए हैं और जिनकी अपीलें लंबित हैं। इसके तहत, ऐसे अपराधियों को देश से निर्वासित (deported) किया जा सकता है, और उन्हें अपने देश से ही अपनी अपील दायर करनी होगी। इस नीति का सीधा मतलब यह है कि अपराधियों को ब्रिटेन में रहकर कानूनी प्रक्रियाओं का लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा, बल्कि उन्हें उनके मूल देश में ही न्याय का सामना करना होगा।
भारत के लिए क्या मायने?
ब्रिटेन द्वारा भारत को इस सूची में शामिल करने के कई महत्वपूर्ण निहितार्थ हैं:
अपराधियों की वापसी: यह भारत के लिए एक सकारात्मक कदम है, क्योंकि इससे उन अपराधियों की वापसी में आसानी होगी जिन्होंने भारत में अपराध किया है और ब्रिटेन में शरण ली हुई है। इससे न्याय सुनिश्चित करने और पीड़ितों को राहत पहुंचाने में मदद मिलेगी।
आपराधिक गतिविधियों पर अंकुश: यह नीति अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक नेटवर्क पर नकेल कसने और अपराधियों को भागने से रोकने में भी सहायक सिद्ध होगी।
सहयोग में वृद्धि: यह भारत और ब्रिटेन के बीच कानूनी और सुरक्षा सहयोग को और मजबूत करेगा, जिससे आपराधिक मामलों के निपटारे में तेज़ी आएगी।
107 देशों के साथ समझौता: ब्रिटेन ने यह नीति 107 देशों के साथ लागू की है, जो यह दर्शाता है कि वह अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से आपराधिक न्याय प्रणाली को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस नीति के माध्यम से, ब्रिटेन यह सुनिश्चित करना चाहता है कि गंभीर अपराधी देश की सुरक्षा के लिए खतरा न बनें और उन्हें उनके अपने देशों में ही न्याय मिले।
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