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Up Kiran, Digital Desk- आपने शायद अमृतसर के स्वर्ण मंदिर के बारे में सुना होगा मगर क्या आपने कभी सोचा है कि इसे बनाने में कितना सोना लगा होगा। यह एक ऐसा सवाल है जो शायद हम में से कई लोगों के दिमाग में नहीं आता मगर इसका जवाब वाकई चौंकाने वाला है।
अमृतसर का स्वर्ण मंदिर जिसे श्री हरमंदिर साहिब के नाम से भी जाना जाता है सिर्फ एक पूजा स्थल नहीं है बल्कि यह सिख धर्म और सभी धर्मों के लोगों की आस्था का एक जीता-जागता प्रतीक है. इसकी अलौकिक सुंदरता और शांतिपूर्ण वातावरण हर साल लाखों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को अपनी ओर खींचता है.
कितना सोना लगा इस अद्भुत मंदिर में
आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि इस भव्य स्वर्ण मंदिर के निर्माण में लगभग 750 किलोग्राम सोने का इस्तेमाल किया गया था! और यह कोई सामान्य सोना नहीं बल्कि 24 कैरेट शुद्ध सोना है जिसे सोने का सबसे शुद्ध रूप माना जाता है. सोचिए इतनी भारी मात्रा में शुद्ध सोना जब किसी संरचना को ढँके तो उसकी चमक और भव्यता कैसी होगी!
इस पवित्र गुरुद्वारे की नींव श्री गुरु रामदास जी ने 1577 ईस्वी में रखी थी यानी यह गुरुद्वारा लगभग 400 साल पुराना है. इसकी उम्र इसकी पवित्रता और महत्व को और बढ़ा देती है। गुरुद्वारे के पास स्थित पवित्र झील को अमृत झील के नाम से जाना जाता है और इसी के नाम पर इस शहर का नाम अमृतसर पड़ा है।
स्वर्ण मंदिर केवल अपनी वास्तुकला या सोने की भव्यता के लिए ही प्रसिद्ध नहीं है बल्कि ये अपने लंगर के लिए भी जाना जाता है. यह दुनिया का सबसे बड़ा सामुदायिक रसोईघर है जहाँ हर दिन हजारों लोगों को बिना किसी भेदभाव के मुफ्त भोजन परोसा जाता है. यह सेवा समानता और निःस्वार्थ भाव का एक जबरदस्त उदाहरण है।
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