
smoke detector in train toilet: सेफ्टी को ध्यान में रखते हुए भारतीय रेलवे में कई आधुनिक सुविधाएं शामिल की गई हैं, जिनमें से एक महत्वपूर्ण गैजेट है- स्मोक डिटेक्टर। ये यंत्र खासतौर पर ट्रेन के टॉयलेट में लगाया जाता है ताकि धुएं की पहचान की जा सके और किसी भी आपात स्थिति से पहले बचाव के उपाय किए जा सकें।
कैसे काम करता है स्मोक डिटेक्टर?
टॉयलेट के भीतर लगाए गए स्मोक डिटेक्टर का मेन कार्य हवा में किसी भी प्रकार के धुएं या आग की पहचान करना है। ये डिटेक्टर एक छोटे सेंसर से कनेक्ट होता है ये अल्ट्रावायलेट लाइट और इन्फ्रारेड सेंसिंग तकनीकों का इस्तेमाल करता है। जब टॉयलेट में धुआं या आग लगने की स्थिति बनती है, तो यह सेंसर वातावरण में धुएं के कणों को पहचानता है और उसे डिटेक्ट करता है।
स्मोक डिटेक्टर में एक लाइट बीम और एक डिटेक्शन चैंबर होता है। जब धुआं लाइट बीम को बाधित करता है, तो ये डिटेक्टर फौरन अलार्म ट्रिगर कर देता है, जिससे ट्रेन के ड्राइवर और संबंधित स्टाफ को चेतावनी मिलती है।
यात्रियों की सुरक्षा में निभाता है अहम योगदान
ये गैजेट ट्रेन के यात्रियों की सुरक्षा में अहम भूमिका निभाता है। खासकर टॉयलेट में जहां आग लगने का खतरा ज्यादा होता है। ये गैजेट वक्त रहते खतरे को पहचानकर कार्रवाई करने का मौका देता है। इसके अलावा, ये नियमों का पालन सुनिश्चित करने में भी मदद करता है, क्योंकि ट्रेन के भीतर किसी भी प्रकार की गड़बड़ी को रोकने के लिए रेलवे प्रशासन ने इसे अनिवार्य किया है।