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Up Kiran, Digital Desk: दुर्गा पूजा का नाम आते ही आंखों के सामने सज-धज कर तैयार कोलकाता शहर की तस्वीर आ जाती है। भव्य पंडाल, मां दुर्गा की मनमोहक प्रतिमाएं और लाखों की भीड़, यही इस त्योहार की पहचान है। लेकिन इस चमक-दमक के पीछे एक और बहुत बड़ी जिम्मेदारी छिपी होती है, और वह है मां दुर्गा को पहनाए जाने वाले सोने, चांदी और हीरे के बेशकीमती गहनों की सुरक्षा की।

कोलकाता में कई बड़े और पुराने पूजा पंडाल हैं, जहां देवी की प्रतिमा को असली सोने और चांदी के आभूषणों से सजाने की परंपरा है। भक्तों द्वारा चढ़ाए गए ये गहने कई बार करोड़ों रुपये के होते हैं। ऐसे में इन पंडालों पर चोरों और असामाजिक तत्वों की नजर पड़ना लाजमी है। इसी खतरे को देखते हुए, कोलकाता पुलिस हर साल एक खास और बेहद कड़ा सुरक्षा चक्र तैयार करती है।

पंडाल बन जाते हैं 'हाई-सिक्योरिटी जोन'

जैसे ही पूजा के दिन नजदीक आते हैं, शहर के प्रमुख पंडालों को लगभग एक किले में बदल दिया जाता है। कोलकाता पुलिस यह सुनिश्चित करने के लिए पूजा आयोजकों के साथ मिलकर काम करती है कि मां के कीमती आभूषण पूरी तरह से सुरक्षित रहें। इसके लिए कई स्तरों पर काम किया जाता है:

24x7 निगरानी: पंडालों में और उनके आसपास, पुलिस की टीमें 24 घंटे गश्त करती हैं। इनमें वर्दीधारी पुलिसकर्मियों के साथ-साथ सादे कपड़ों में भी जवान तैनात होते हैं, जो भीड़ में शामिल होकर हर संदिग्ध गतिविधि पर नजर रखते हैं।

तीसरी आंख का पहरा: सभी बड़े पंडालों में हाई-डेफिनिशन (HD) सीसीटीवी कैमरों का एक जाल बिछाया जाता है। इन कैमरों को इस तरह से लगाया जाता है कि पंडाल का कोई भी कोना निगरानी से बाहर न रहे। कंट्रोल रूम में एक टीम लगातार इन कैमरों की फुटेज पर नजर रखती है।

वॉलंटियर्स की फौज: पुलिस के अलावा, पूजा समितियों के अपने स्वयंसेवक (volunteers) भी सुरक्षा में एक अहम भूमिका निभाते हैं। पुलिस इन वॉलंटियर्स को खास ट्रेनिंग देती है ताकि वे किसी भी संदिग्ध व्यक्ति या वस्तु की पहचान कर सकें और तुरंत पुलिस को सूचित कर सकें।

प्रतिमा के पास विशेष सुरक्षा: जहां मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित होती है, उस जगह के आसपास एक विशेष सुरक्षा घेरा बनाया जाता है। यहां हर किसी को जाने की इजाजत नहीं होती और यहां तैनात सुरक्षाकर्मी सबसे ज्यादा अलर्ट रहते हैं।

यह सब इसलिए किया जाता है ताकि भक्त बिना किसी डर के त्योहार का आनंद ले सकें और उनकी आस्था के प्रतीक, मां के आभूषणों पर कोई आंच न आए। यह आस्था और आधुनिक तकनीक का एक बेहतरीन मेल है, जो यह सुनिश्चित करता है कि कोलकाता की दुर्गा पूजा हर साल की तरह इस साल भी शांति और खुशी के साथ संपन्न हो।