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बात करते हैं उस प्रॉफिट और लॉस की जो इसराइल और हमास की जंग का हासिल है। आखिर गाजा की हर सुबह कैसी होती है रात? किस डर के साए में गुजरती है? दुनिया के लिए यह जानना भी जरूरी है और इसके अलावा इजराइल को कामयाबी हासिल करने के लिए कौन सी कीमत चुकानी पड़ रही है? दो महीने की जंग पर आपके दिमाग में उठने वाले हर सवाल का जवाब आपको इस खबर में मिलेगा।

7 अक्टूबर को इसराइल पर हुए हमले के बाद 8 अक्टूबर से लेकर आज तक गाजा की हर नई सुबह ऐसी ही होती रही है। सूरज की रोशनी अमन लेकर नहीं आती, बल्कि तबाही के बारूद से किसी न किसी इलाके को नहलाती है। यानी मान लेना चाहिए कि गाजा अब वेस्ट एशिया का सीरिया बन चुका है, वो भी सिर्फ दो महीने में। हर दिन विध्वंस और रण बारूद से सना कण कण। लेकिन प्रश्न ये है कि आखिर अब तक हासिल क्या हुआ? न तो हमास का खात्मा हुआ और न ही इजरायल के सभी बंधकों की रिहाई हो सकी।

आंशिक युद्धविराम तो हुआ लेकिन इजराइल को देसी और विदेशी बंधकों की एवज में उन 240 बंधकों को रिहा किया जिनमें से ज्यादातर कभी न कभी इजरायल में हमलावर बनकर ही दाखिल हुए थे। तो क्या इस जंग में ज्यादा नुकसान इजराइल को ही उठाना पड़ा है? इस सवाल का जवाब पिछले दो महीने से जारी जंग के नुकसान वाले आंकड़ों में देखिए।

अब तक की जंग में गाजा के अंदर 17,000 जान जाने का अनुमान है। वहीं हमास के अटैक से लेकर जारी जंग के बीच 1200 इजराइली नागरिकों की मौत का भी दावा है। इसके अलावा जिस स्तर पर नुकसान हुआ है वो अकल्पनीय है। ये नुकसान दोनों तरफ हुआ है। इसमें इजरायली डिफेंस मिनिस्ट्री ने 5000 सैनिकों के घायल होने का दावा किया है। साथ ही यहूदी देश को रोजाना करोड़ो रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं। 

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