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Up Kiran, Digital Desk: कार खरीदना भारत में कई परिवारों के लिए एक लंबी अवधि का निवेश माना जाता है। नई गाड़ी खरीदने के बजट की कमी के कारण अक्सर लोग सेकेंड हैंड कारों को प्राथमिकता देते हैं क्योंकि ये महंगी नई कारों की तुलना में काफी किफायती विकल्प होती हैं। आजकल ऑनलाइन और ऑफलाइन बाजारों में सेकेंड हैंड वाहनों की भरमार है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि पुरानी कार बेचते वक्त आपको कितना फायदा या नुकसान हो रहा है?

हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से चर्चा में है, जिसमें सेकेंड हैंड कार बेचने के वित्तीय पहलुओं पर ध्यान दिया गया है। इस वीडियो को इंस्टाग्राम के लोकप्रिय हैंडल Carswithrohit ने शेयर किया है, जिसने एक अलग नजरिए से इस मुद्दे को उठाया है।

सेकेंड हैंड कार बेचने के पीछे छुपा नुकसान

वीडियो में एक शख्स सरल भाषा में सरकार की नई वाहन स्क्रैपिंग पॉलिसी की जानकारी देता है। उसकी राय है कि पुरानी कार को सेकेंड हैंड बाजार में बेचने से बेहतर होगा कि उसे स्क्रैप कर दिया जाए, क्योंकि इससे ज्यादा फायदा मिलता है।

यहां तक कि उसने एक व्यक्तिगत उदाहरण भी साझा किया। उसका दोस्त अपनी पुरानी Honda City को केवल 80,000 रुपये में बेचकर Tata Safari खरीदा। शुरुआत में यह निर्णय सही लगा, लेकिन जब उसने वित्तीय गणना की, तो पता चला कि उसे करीब तीन लाख रुपये का नुकसान हुआ है। अगर उसके दोस्त ने स्क्रैपिंग पॉलिसी का लाभ उठाया होता, तो उसे गाड़ी की असली कीमत का लगभग 4-6% तक राशि मिल सकती थी। जैसे कि Honda City 9 लाख रुपये की थी, तो स्क्रैपिंग के जरिए उसे 45,000 रुपये सीधे मिल सकते थे।

स्क्रैपिंग पॉलिसी से जुड़ी अन्य सुविधाएं

इस वीडियो में यह भी बताया गया कि यदि कोई व्यक्ति स्क्रैपिंग सर्टिफिकेट लेकर नई कार खरीदता है, तो उसे 5% की छूट नई गाड़ी की कीमत पर और 25% की छूट रोड टैक्स में मिलती है। ये रियायतें मिलाकर लाखों रुपये की बचत संभव होती है, जो पारंपरिक तरीके से कार बेचने पर नहीं मिलतीं।

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