Ankiti Bose ceo: एनकिती बोस भारतीय स्टार्टअप क्षेत्र में एक जाना-माना नाम हैं। युवा भारतीय उद्यमी ने अपने ऑनलाइन बिजनेस के साथ नई ऊंचाइयों को छूने के बाद सुर्खियाँ बटोरीं।
हाल ही में अपने पूर्व व्यावसायिक सहयोगियों के विरूद्ध कानूनी कार्यवाही के लिए चर्चा में रहीं अंकिती बोस के ताजा अपडेट उनकी सफलता को नहीं दर्शाते हैं। जो लोग नहीं जानते उन्हें बता दें कि अंकिती बोस मल्टीनेशनल टेक्नोलॉजी और कॉमर्स स्टार्टअप ज़िलिंगो की सह-संस्थापक हैं, जिसका अधिकतम मूल्यांकन 2019 में लगभग 7000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था और इस उपलब्धि के पीछे उनकी बहुत बड़ी भूमिका थी। कंपनी को नए मुकाम पर ले जाने के बावजूद बोस भारत के उन लोगों में से एक बन गईं, जिन्हें अपनी ही कंपनी से निकाल दिया गया।
ऐसे शुरू किया था बिजनेस
राजधानी दून में जन्मी अंकिती बोस ने अपनी स्कूली शिक्षा मुंबई के कैम्ब्रिज स्कूल से पूरी की और उसके बाद उन्होंने प्रतिष्ठित सेंट जेवियर्स कॉलेज से स्नातक की उपाधि हासिल की। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्होंने मैकिन्से एंड कंपनी और बाद में बैंगलोर में सिकोइया कैपिटल में अपना करियर शुरू किया। चटूचक वीकेंड मार्केट की खोज करते वक्त उन्होंने देखा कि कई स्थानीय दुकानें ऑनलाइन उपस्थिति से वंचित थीं। इसने उन्हें सिकोइया कैपिटल में निवेश विश्लेषक के रूप में अपनी भूमिका छोड़ने और ज़िलिंगो लॉन्च करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने व्यवसाय शुरू करने के लिए ध्रुव कपूर के साथ पार्टनरशिप की। उन्हें 2018 में फोर्ब्स एशिया 30 अंडर 30 सूची में और साथ ही 2019 में ब्लूमबर्ग 50 के साथ फॉर्च्यून की 40 अंडर 40 में शामिल किया गया है।
बोस को 2022 में ज़िलिंगो से निकाल दिया गया, जिस कंपनी की उन्होंने स्थापना की थी। कुप्रबंधन और वित्तीय गलत बयानी के आरोपों के बाद उन्हें कंपनी के सीईओ के पद से निलंबित कर दिया गया था। रिपोर्ट्स बताती हैं कि उन्होंने बोर्ड की मंज़ूरी के बिना अपना वेतन 10 गुना बढ़ा दिया। उन पर विभिन्न विक्रेताओं को 10 मिलियन डॉलर के "अस्पष्टीकृत भुगतान" का भी इल्जाम है। वो वर्तमान में निवेशक महेश मूर्ति के खिलाफ़ 738 करोड़ रुपये के मुकदमे में शामिल हैं।
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