
Up Kiran, Digital Desk: उपराष्ट्रपति चुनाव में शानदार जीत दर्ज करने के तुरंत बाद, सीपी राधाकृष्णन ने इसे विचारधाराओं की लड़ाई करार देते हुए एक बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि चुनाव के नतीजों ने यह साबित कर दिया है कि "राष्ट्रवादी विचारधारा की समग्र जीत हुई है." उनका यह बयान विपक्ष के उस नैरेटिव का सीधा जवाब माना जा रहा है, जिसमें वे लगातार इस चुनाव को "विचारधाराओं की जंग" बता रहे थे.
जस्टिस रेड्डी को 152 वोटों से हराया
मंगलवार को हुए उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए (NDA) के उम्मीदवार और महाराष्ट्र के राज्यपाल रहे सीपी राधाकृष्णन ने जगदीप धनखड़ की जगह लेते हुए देश के नए उपराष्ट्रपति के रूप में जीत हासिल की. 68 वर्षीय राधाकृष्णन ने आसानी से यह चुनाव जीत लिया. उन्हें पहली वरीयता के 452 वोट मिले, जबकि विपक्ष के उम्मीदवार और सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज बी. सुदर्शन रेड्डी 300 वोटों के साथ काफी पीछे रह गए.
चुनाव के रिटर्निंग ऑफिसर ने बताया कि कुल 754 वोट पड़े, जिनमें से 15 वोट अवैध पाए गए.
जीत का मार्जिन सबसे कम में से एक
हालांकि, राधाकृष्णन की जीत का 152 वोटों का अंतर हाल के उपराष्ट्रपति चुनावों में सबसे कम मार्जिन में से एक है. 2022 में, जगदीप धनखड़ ने विपक्षी उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को पिछले छह उपराष्ट्रपति चुनावों में सबसे बड़े अंतर से हराया था. धनखड़ को 528 वोट मिले थे, जबकि अल्वा को सिर्फ 182 वोट हासिल हुए थे.
संघ से राज्यपाल और अब उपराष्ट्रपति
यह जीत राधाकृष्णन के लंबे राजनीतिक करियर में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जिसकी जड़ें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) में गहरी हैं.
कोयंबटूर से दो बार सांसद और तमिलनाडु में भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रहे राधाकृष्णन हमेशा से एक राष्ट्रवादी एजेंडे के प्रबल समर्थक रहे हैं. इस चुनाव से पहले, उन्होंने महाराष्ट्र और झारखंड के राज्यपाल के रूप में भी कार्य किया है.