
Up Kiran, Digital Desk:गर्भावस्था से पहले की तैयारी, जिसे प्रीकंसेप्शन काउंसलिंग (Preconception Counselling) कहा जाता है, स्वस्थ मातृत्व और शिशु के स्वास्थ्य के लिए बेहद ज़रूरी है। अक्सर यह माना जाता है कि इसकी ज़रूरत सिर्फ पहली बार माता-पिता बनने वालों को होती है। लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि अब समय आ गया है 'प्रीकंसेप्शन काउंसलिंग 2.0' का, जिसका अर्थ है कि दूसरी बार या उससे अधिक बार माता-पिता बनने वाले जोड़ों को भी इसे गंभीरता से लेना चाहिए। हर गर्भावस्था अद्वितीय होती है, और पिछली गर्भावस्था के अनुभव, चाहे वे अच्छे हों या बुरे, इस बार के लिए पर्याप्त नहीं होते।
क्यों ज़रूरी है प्रीकंसेप्शन काउंसलिंग 2.0
पहली गर्भावस्था के बाद भी, माता-पिता के स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण बदलाव आ सकते हैं। जीवनशैली, आयु, चिकित्सा इतिहास और नए जोखिम कारक सब कुछ विकसित होते रहते हैं। इसलिए, हर नई गर्भावस्था से पहले इन सभी पहलुओं की जांच करना महत्वपूर्ण है ताकि एक स्वस्थ और सफल गर्भावस्था सुनिश्चित की जा सके।
पिछली गर्भावस्थाओं, डिलीवरी के अनुभवों, गर्भपात (यदि कोई हो) और बच्चे के स्वास्थ्य इतिहास की विस्तृत समीक्षा।
पुरानी बीमारियाँ: मधुमेह, उच्च रक्तचाप, थायराइड जैसी पुरानी बीमारियों का प्रबंधन और यह सुनिश्चित करना कि वे नियंत्रण में हैं। यदि कोई नई स्थिति विकसित हुई है, तो उसकी जांच।
वर्तमान दवाएं: यह जांचना कि क्या वर्तमान में ली जा रही कोई भी दवा गर्भावस्था के लिए सुरक्षित है।
टीकाकरण अपडेट: यह सिर्फ बच्चों के लिए नहीं, बल्कि भावी माता-पिता के लिए भी महत्वपूर्ण है। खसरा, रूबेला, चिकनपॉक्स, टिटनेस, डिप्थीरिया, पर्टुसिस (Tdap) और फ्लू शॉट जैसे टीकों की स्थिति की जांच की जानी चाहिए।
रूबेला विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि गर्भावस्था के दौरान इसका संक्रमण गंभीर जन्म दोषों का कारण बन सकता है।
संक्रमण की जांच: यौन संचारित संक्रमण (STIs) और अन्य संक्रमण (जैसे TORCH संक्रमण - टोक्सोप्लाज्मोसिस, अन्य, रूबेला, साइटोमेगालोवायरस, हर्पीस) की जांच ज़रूरी है, क्योंकि ये गर्भावस्था पर गंभीर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।
आनुवंशिक परामर्श और जोखिम जांच: यदि माता-पिता की उम्र अधिक है, या परिवार में आनुवंशिक बीमारियों का इतिहास है, या पिछली गर्भावस्था में कोई आनुवंशिक समस्या थी, तो आनुवंशिक परामर्श बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है।
कुछ विशिष्ट जातीय समूहों में कुछ आनुवंशिक रोगों का जोखिम अधिक होता है, जिसकी जांच भी की जा सकती है।
पोषण संबंधी अनुकूलन: गर्भधारण से पहले ही फोलेट (फोलिक एसिड) सप्लीमेंट्स लेना बहुत महत्वपूर्ण है ताकि न्यूरल ट्यूब दोषों (neural tube defects) को रोका जा सके।
संतुलित आहार, आवश्यक विटामिन और खनिजों की पर्याप्त मात्रा सुनिश्चित करना।
जीवनशैली मूल्यांकन:शराब, धूम्रपान और अन्य नशीले पदार्थों का सेवन बंद करना या कम करना।
तनाव प्रबंधन की तकनीकें सीखना।
पर्याप्त नींद और नियमित व्यायाम की आदतें विकसित करना।
मानसिक स्वास्थ्य की जांच: पिछली गर्भावस्थाओं के दौरान या उनके बाद हुए अवसाद या चिंता की जांच करना। मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों से परामर्श लेना महत्वपूर्ण है।
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