Kolkata rape and murder: देश सबसे बड़े इंसाफ के मंदिर सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक पोस्टग्रेजुएट डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के मामले की सुनवाई शुरू कर दी है। इस मामले को लेकर देशभर में डॉक्टरों की हड़ताल चल रही है। सरकारी अस्पताल के सेमिनार हॉल में जूनियर डॉक्टर के साथ कथित बलात्कार और हत्या के मामले ने देशभर में विरोध प्रदर्शन को जन्म दिया है। तीन सदस्यीय न्यायाधीश मामले की सुनवाई कर रहे हैं।
कोलकाता पुलिस के रुख पर कड़ा रुख अपनाते हुए सीजेआई चंद्रचूड़ ने सवाल किया, "देर रात तक कोई एफआईआर नहीं थी... क्या एफआईआर में कहा गया है कि यह हत्या थी?"
सीजेआई ने मृतका की फोटो और वीडियो के प्रसार पर भी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा, "प्रोटोकॉल कागज पर नहीं हो सकता, बल्कि पूरे भारत में लागू किया जा सकता है। कोलकाता के मामले में, हम इस बात से बहुत चिंतित हैं कि पीड़िता का नाम और मृतका की फोटो और वीडियो सभी मीडिया में प्रकाशित हो रहे हैं... ग्राफिक में उसका शव दिखाया गया है जो घटना के बाद का है... न्यायालय के ऐसे फैसले हैं जो कहते हैं कि यौन पीड़ितों के नाम प्रकाशित नहीं किए जा सकते।"
जानें महिला डॉक्टरों की सुरक्षा पर क्या बोला SC
उन्होंने कहा, "हमने स्वत: संज्ञान लेने का फैसला इसलिए किया, क्योंकि यह सिर्फ कोलकाता के अस्पताल में हुई एक भयावह हत्या का मामला नहीं है.. बल्कि यह पूरे भारत में डॉक्टरों की सुरक्षा से जुड़ा एक प्रणालीगत मुद्दा है। सुरक्षा के मामले में हम इस बात से बहुत चिंतित हैं कि अस्पतालों में काम करने वाले डॉक्टरों, महिला डॉक्टरों, रेजिडेंट और नॉन-रेजिडेंट डॉक्टरों और महिला डॉक्टरों के लिए सुरक्षित परिस्थितियों का अभाव है, जो ज्यादा असुरक्षित हैं... युवा डॉक्टरों को लंबे समय तक काम करना पड़ता है... पुरुष और महिला डॉक्टरों के लिए कोई अलग से आराम और ड्यूटी रूम नहीं है और हमें काम की सुरक्षित परिस्थितियों के लिए एक मानक राष्ट्रीय प्रोटोकॉल के लिए राष्ट्रीय सहमति विकसित करने की आवश्यकता है। आखिरकार, संविधान के तहत समानता का क्या मतलब है, अगर महिलाएं अपने कार्यस्थल पर सुरक्षित नहीं हो सकतीं।"
मामले का स्वत: संज्ञान, जिसका शीर्षक है "आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल, कोलकाता में एक प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ कथित बलात्कार एवं हत्या की घटना एवं संबंधित मुद्दा", इस तथ्य के मद्देनजर महत्वपूर्ण है कि कलकत्ता उच्च न्यायालय पहले ही कार्रवाई कर चुका है और उसने मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी है।
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