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Up Kiran, Digital Desk: मध्य प्रदेश की धरती अक्सर खनिज संपदा के लिए चर्चा में रहती है, लेकिन इस बार छतरपुर जिले के एक साधारण मजदूर परिवार ने ऐसा कुछ पा लिया है, जिसने उनकी पूरी ज़िंदगी बदल देने की संभावना जगा दी है। कटिया गांव के एक मेहनतकश यादव परिवार को हीरे की खदान में एक-दो नहीं, पूरे आठ हीरे एक साथ हाथ लगे हैं — और ये कोई मामूली खोज नहीं है।
पांच साल की मेहनत का अनमोल फल
हरगोविंद यादव और उनकी पत्नी पवन देवी यादव पिछले पांच वर्षों से हीरा खदानों में मेहनत-मजदूरी कर रहे थे। खुरपी और फावड़ा लेकर दिन-रात की कड़ी मेहनत में उनका सिर्फ एक सपना था—एक ऐसा हीरा, जो उनकी जिंदगी संवार दे। आखिरकार, जब हाल ही में खुदाई के दौरान उन्हें आठ हीरे मिले, तो मानो सालों की तपस्या पूरी हो गई।
इन आठों हीरों में कुछ प्राकृतिक अवस्था में (कच्चे) हैं, जबकि कुछ पहले से ही प्रसंस्कृत (पॉलिश किए गए) माने जा रहे हैं। इससे उनकी कीमत में विविधता हो सकती है, लेकिन अनुमान लगाया जा रहा है कि इनका कुल मूल्य 10 से 12 लाख रुपये तक हो सकता है।
छाले पड़े, पर उम्मीद नहीं टूटी
हरगोविंद यादव बताते हैं कि इस काम में हाथों में छाले पड़े, बदन थक गया, लेकिन उन्होंने और उनकी पत्नी ने कभी हार नहीं मानी। उन्होंने बताया कि पहले उनके छोटे भाई को भी एक हीरा मिला था, जिसकी कीमत लगभग ढाई से तीन लाख रुपये थी, मगर उचित मूल्यांकन और सही जौहरी न मिलने के कारण वह हीरा महज एक लाख रुपये में बिक गया।
इस बार हरगोविंद यादव कोई गलती नहीं दोहराना चाहते। वे चाहते हैं कि उन्हें प्रामाणिक मूल्य मिले और उनके सपनों को आकार दिया जा सके।
अब जौहरी की तलाश
परिवार फिलहाल इन हीरों को सरकारी प्रक्रिया के तहत पन्ना के हीरा संग्रहालय में जमा करने की तैयारी में है। वहां विशेषज्ञ इनका मूल्यांकन करेंगे। खनिज अधिकारी अमित मिश्रा ने भी पुष्टि की है कि जब तक संग्रहालय में हीरे नहीं पहुंचते, तब तक उनकी कीमत का सटीक आकलन संभव नहीं है।
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