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Up Kiran, Digital Desk: चारा घोटाले से जुड़ी एक बार फिर सुर्खियों में आई देवघर ट्रेजरी धोखाधड़ी के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की परेशानी और बढ़ सकती है। यह मामला 90 के दशक में सामने आया था, जब बिहार के कई जिलों से सरकारी खजाने से करोड़ों रुपये की अवैध निकासी की गई थी। अब इस घोटाले में मिली सजा को लेकर झारखंड हाईकोर्ट में एक नया मोड़ आ गया है।
सीबीआई की याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई का रास्ता साफ
झारखंड हाईकोर्ट की खंडपीठ, जिसमें न्यायमूर्ति रंगन मुखोपाध्याय और न्यायमूर्ति अंबुज नाथ शामिल हैं उन्होंने सीबीआई की उस अपील याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है जिसमें सजा में बढ़ोतरी की मांग की गई है। यह याचिका देवघर कोषागार घोटाले में लालू यादव, पूर्व आईएएस अधिकारी बेक जूलियस और पूर्व ट्रेजरी अफसर सुवीर भट्टाचार्य के खिलाफ दायर की गई थी।
अदालत में सीबीआई की दलीलें
सीबीआई की ओर से वकील दीपक कुमार भारती ने अदालत को बताया कि विशेष सीबीआई अदालत द्वारा दोषियों को दी गई सजा अपर्याप्त है। उन्होंने तर्क दिया कि लालू प्रसाद यादव इस घोटाले के मुख्य साजिशकर्ता थे, इसके बावजूद उन्हें महज साढ़े तीन साल की सजा और पांच लाख रुपये का जुर्माना दिया गया। वहीं, इसी मामले में सह-आरोपी जगदीश शर्मा को सात साल की सजा और दस लाख का जुर्माना सुनाया गया था। सीबीआई ने इसे असमान और अनुचित बताया।
पुराना मामला, नया विवाद
देवघर ट्रेजरी घोटाले के तहत दर्ज आरसी 64 ए/96 मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने 2018 में फैसला सुनाया था। इस फैसले में लालू यादव समेत कई अन्य अभियुक्तों को सजा दी गई थी, लेकिन अब सीबीआई का मानना है कि सजा की अवधि और आर्थिक दंड उनकी भूमिका की गंभीरता को देखते हुए बहुत कम है। इसलिए इस फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का रुख किया गया।
आगे की सुनवाई में बढ़ेगी गहमागहमी
अब चूंकि झारखंड हाईकोर्ट ने इस अपील को सुनवाई योग्य मानते हुए स्वीकार कर लिया है, आने वाले समय में इस मामले में एक बार फिर कानूनी बहस तेज हो सकती है। अगर कोर्ट सीबीआई की दलीलों से सहमत होता है तो लालू यादव और अन्य अभियुक्तों की सजा बढ़ाई जा सकती है।
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