
Up Kiran, Digital Desk: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई करने पर सहमति व्यक्त की है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि बंगाली भाषी प्रवासी श्रमिकों (Bengali-speaking migrant workers) को बांग्लादेशी नागरिक होने के संदेह में हिरासत में लिया जा रहा है।
क्या है याचिका में आरोप?
याचिकाकर्ता, पश्चिम बंगाल प्रवासी कल्याण बोर्ड (West Bengal Migrant Welfare Board), की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan) ने कहा कि कई राज्यों में बंगाली भाषी प्रवासी श्रमिकों को उनकी राष्ट्रीयता की पुष्टि के बिना ही हिरासत में लिया जा रहा है, जिससे उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
कोर्ट का अंतरिम आदेश देने से इनकार
न्यायमूर्ति सूर्यकांत (Justice Surya Kant) और न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची (Justice Joymalya Bagchi) की पीठ ने हिरासत से संबंधित किसी भी अंतरिम आदेश (interim order) को पारित करने से इनकार कर दिया। पीठ ने कहा कि ऐसा कोई भी आदेश लोगों पर, विशेष रूप से उन लोगों पर, जिनका सीमा पार से अवैध प्रवेश (illegally come from across the border) हुआ है और जिन्हें कानून के तहत निर्वासित (deported) करने की आवश्यकता है, महत्वपूर्ण प्रभाव डालेगा।
न्यायाधीशों ने स्पष्ट किया, "जिन राज्यों में ये प्रवासी श्रमिक काम कर रहे हैं, उन्हें अपने मूल राज्यों से उनकी प्रामाणिकता (bonafide) के बारे में पूछताछ करने का अधिकार है, लेकिन समस्या अंतरिम अवधि (interregnum) में है। यदि हम कोई अंतरिम आदेश पारित करते हैं, तो इसके गंभीर परिणाम होंगे।"
केंद्र और 9 राज्यों से जवाब तलब
पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील को केंद्र सरकार (Centre) और नौ राज्यों - ओडिशा (Odisha), राजस्थान (Rajasthan), महाराष्ट्र (Maharashtra), दिल्ली (Delhi), बिहार (Bihar), उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh), छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh), हरियाणा (Haryana) और पश्चिम बंगाल (West Bengal) - से जवाब आने तक इंतजार करने को कहा है। इन प्रतिक्रियाओं के बाद ही मामले में आगे की सुनवाई की जाएगी।
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