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Up Kiran, Digital Desk: उत्तराखंड के सितारगंज में सरकारी अस्पताल की सेवाओं पर एक बार फिर प्रश्न चिन्ह लगा दिए हैं। एक प्रेग्नेंट महिला की मौत ने पूरे स्वास्थ्य महकमे की कार्यशैली पर गंभीर शक पैदा कर दिया है। आरोप है कि सरकारी अस्पताल में तैनात महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. नेहा सिद्दीकी ने नियमों की अनदेखी कर प्रसूता को निजी अस्पताल भेजा, जहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई।
एंबुलेंस बुली, पैसा फिक्स हुआ और मौत हो गई!
पिंडारी गांव निवासी बक्शीश सिंह ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में बताया कि 21 अगस्त की रात उनकी 24 वर्षीय बेटी काजल को प्रसव पीड़ा होने पर उप जिला चिकित्सालय लाया गया। अस्पताल में भर्ती करने के बाद आधी रात को उसे बिना स्पष्ट वजह के आस्था मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल रेफर कर दिया गया।
बताया जा रहा है कि डॉ. नेहा ने एंबुलेंस मंगवाई और 26 हजार रुपये में ऑपरेशन तय करवा दिया। ऑपरेशन के बाद जच्चा-बच्चा की हालत बिगड़ गई। बच्चा तो किसी और निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन काजल को 24 अगस्त को सुशीला तिवारी अस्पताल भेजा गया, और फिर 25 अगस्त को देहरादून स्थित जौलीग्रांट हिमालयन हॉस्पिटल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
कमीशन के खेल में गई जान? परिवार का आरोप
काजल के परिवार का कहना है कि डॉ. नेहा और निजी अस्पताल मिलकर पैसे के लालच में मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकारी डॉक्टर ने निजी अस्पताल से कमीशन लेने के लिए यह सब किया।