
Up Kiran, Digital Desk: भारत के सबसे बड़े बिज़नेस ग्रुप टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी टाटा संस की पब्लिक लिस्टिंग को लेकर विवाद और मांग एक बार फिर तेज़ हो गई है। शापूरजी पालोनजी समूह (SP Group) के चेयरमैन शापूर मिस्त्री ने इस बात पर ज़ोर दिया है कि टाटा संस को बाज़ार में सार्वजनिक रूप से लिस्ट किया जाए, ताकि पूरी पारदर्शिता लाई जा सके। उन्होंने यह मांग खासकर उस समय दोहराई है जब टाटा ट्रस्ट्स के अंदर ट्रस्टी (न्यासियों) के बीच आपसी मतभेद की ख़बरें सामने आई हैं।
RBI की समय सीमा को 'गंभीरता' से देखा जाए!
शापूर मिस्त्री ने अपने बयान में केंद्रीय बैंक यानी रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) के NBFC (नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी) नियमों का हवाला दिया। आरबीआई के नियमों के तहत, टाटा संस को 'अपर लेयर' श्रेणी के तहत लिस्ट होना ज़रूरी है और इसकी डेडलाइन 30 सितंबर 2025 है।
मिस्त्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि इस समय-सीमा को 'उसी गंभीरता और पवित्रता' के साथ देखा जाना चाहिए, जिसका नियामक प्रतिबद्धताएं (Regulatory Commitments) हकदार होती हैं। उनकी सीधी अपील RBI से है कि वह देश के एक पुराने बिज़नेस घराने के हितों में, न्याय और सार्वजनिक हित के सिद्धांतों को ध्यान में रखकर फैसला करे।
क्यों लिस्टिंग के लिए जोर डाल रहा है SP Group: शापूरजी पालोनजी परिवार टाटा संस में करीब 18.37 फीसदी की हिस्सेदारी रखता है, जबकि टाटा ट्रस्ट्स के पास प्रमोटर और होल्डिंग कंपनी की 66 फीसदी हिस्सेदारी है। SP Group काफी समय से इस शेयरहोल्डिंग का उपयोग फंड जुटाने और अपने कर्ज (Debt) को कम करने के लिए करना चाहता है, और लिस्टिंग इस काम में मदद करेगी।
मिस्त्री का कहना है कि: पारदर्शिता एक विरासत और भविष्य, दोनों का सम्मान करने का सबसे सच्चा तरीका है। अब सबकी नज़रें आरबीआई डेडलाइन पर टिकी हैं कि क्या भारत की सबसे बड़ी और प्रतिष्ठित कंपनी अंततः पब्लिक मार्केट में एंट्री लेती है या नहीं।