Up kiran,Digital Desk : दिल्ली नगर निगम (MCD) के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए पिछले साल करोड़ों रुपये के वादे किए गए थे, लेकिन जब हिसाब का दिन आया तो पता चला कि ये सारे वादे सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह गए. हैरानी की बात यह है कि बच्चों की स्कॉलरशिप से लेकर स्कूल में खेल के सामान और यूनिफॉर्म तक, लगभग तीन दर्जन योजनाओं पर एक भी रुपया खर्च नहीं किया गया. और अब, MCD ने अगले साल के लिए फिर से उन्हीं योजनाओं के लिए ठीक उतनी ही रकम का ऐलान कर दिया है, मानो पिछले साल कुछ हुआ ही नहीं.
सिर्फ कागजों पर ही रह गए बच्चों के सपने
पिछले साल के बजट में MCD ने बच्चों के लिए बड़े-बड़े ऐलान किए थे. सोचा गया था कि इन पैसों से स्कूलों की तस्वीर बदलेगी, लेकिन हकीकत कुछ और ही निकली. जरा देखिए, किन-किन सपनों पर पानी फिर गया:
- स्कॉलरशिप: बच्चों को स्कॉलरशिप देने के लिए 50 लाख और छात्राओं के लिए खास स्कॉलरशिप के तौर पर 1 करोड़ रुपये रखे गए. खर्च: जीरो.
- स्कूल का सामान: गरीब बच्चों के लिए मुफ्त किताबें (50 लाख), पहली से तीसरी क्लास के बच्चों के लिए बैग (4 लाख), स्कूल डायरी (50 लाख) और बच्चों के लिए चश्मे (10 लाख) का वादा किया गया. खर्च: जीरो.
- स्कूल की सुविधाएं: स्कूलों में खेल के सामान और सेंटर सुधारने के लिए 20 लाख, बच्चों के स्वास्थ्य का रिकॉर्ड रखने के लिए 50 लाख और डेस्क-फर्नीचर के लिए 1 करोड़ रुपये रखे गए थे. खर्च: जीरो.
अब फिर वही वादे, वही रकम
इस पूरे मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जब इस साल का बजट पेश किया गया, तो पहले इन सभी योजनाओं के लिए आवंटित राशि को 'शून्य' दिखा दिया गया, यह मानते हुए कि पैसा खर्च ही नहीं हुआ. लेकिन फिर, अगले साल के बजट में उन्हीं योजनाओं के लिए ठीक उतनी ही रकम फिर से डाल दी गई. यह देखकर ऐसा लगता है जैसे अधिकारी बस एक कॉपी-पेस्ट का खेल खेल रहे हैं और उन्हें इस बात से कोई फर्क ही नहीं पड़ता कि पैसा सच में इस्तेमाल हो भी रहा है या नहीं.
अगर खर्च होता पैसा, तो बदल जाती स्कूलों की हालत
शिक्षा के जानकार कहते हैं कि अगर यह पैसा सच में खर्च होता, तो आज MCD के स्कूलों की तस्वीर ही कुछ और होती. बच्चों को बेहतर सुविधाएं मिलतीं, खेल के मैदान आबाद होते और शायद कई प्रतिभाएं आगे बढ़ने का मौका पातीं. लेकिन यह सब सिर्फ एक घोषणा बनकर रह गया.
अब सवाल यह उठता है कि क्या अगले साल भी यही कहानी दोहराई जाएगी? क्या इस बार अधिकारी समय पर योजनाओं को लागू करेंगे? या फिर यह बजट भी सिर्फ एक चुनावी वादा बनकर रह जाएगा, और बच्चे अपने हक के इंतजार में एक और साल गुजार देंगे?
_830371199_100x75.png)
_907346001_100x75.png)
_630643623_100x75.png)
_1466407405_100x75.jpeg)
_1137106287_100x75.png)