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Up Kiran, Digital Desk: राजस्थान के अजमेर जिले में प्रधानमंत्री आवास योजना से लाभ पाने की उम्मीद लगाए बैठे ग्रामीण तब हैरान रह गए जब इस योजना से जुड़ी रिश्वतखोरी की खबर सामने आई। ग्राम विकास अधिकारी सोनाक्षी यादव को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने बुधवार को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया। यह गिरफ्तारी न सिर्फ एक अधिकारी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाती है, बल्कि सरकारी योजनाओं की पारदर्शिता पर भी चिंता जताती है।
मदद की जगह मांगी गई रिश्वत
एक ग्रामीण ने ACB मुख्यालय को दी शिकायत में बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत स्वीकृत राशि जारी करने के बदले अधिकारी ने कुल ₹2500 की रिश्वत की मांग की थी। शिकायतकर्ता के अनुसार, सत्यापन के समय ₹500 पहले ही वसूले जा चुके थे और शेष ₹2000 की मांग बाद में की गई। अधिकारी ने स्पष्ट रूप से कह दिया था कि जब तक पूरी रकम नहीं दी जाती, तब तक मकान की राशि पास नहीं की जाएगी।
योजनाबद्ध कार्रवाई में रंगे हाथों गिरफ्तारी
शिकायत की जांच और पुष्टि के बाद ACB ने एक ट्रैप ऑपरेशन की योजना बनाई। उप महानिरीक्षक अनिल कयाल की निगरानी में निरीक्षक कंचन भाटी की टीम ने इस कार्रवाई को अंजाम दिया। बुधवार को जब शिकायतकर्ता ने अधिकारी को ₹1000 की रिश्वत दी, उसी वक्त ACB की टीम ने हस्तक्षेप कर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। मौके से रिश्वत की रकम भी जब्त कर ली गई।
मामले की जांच और कानूनी कार्रवाई जारी
ACB महानिदेशक स्मिता श्रीवास्तव के अनुसार, आरोपित से पूछताछ चल रही है और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज कर आगे की जांच की जा रही है। इस तरह की सख्त कार्रवाई यह दिखाती है कि सरकार अब भ्रष्टाचार पर कोई ढील नहीं देना चाहती, खासकर उन योजनाओं में जो सीधे तौर पर आमजन से जुड़ी हैं।
जनता से सहयोग की अपील
ब्यूरो ने आम नागरिकों से अनुरोध किया है कि यदि किसी सरकारी कर्मचारी द्वारा रिश्वत मांगी जाए, तो तुरंत इसकी सूचना ACB को दें। शिकायतकर्ता की पहचान पूरी तरह गोपनीय रखी जाएगी। यह कार्रवाई राजस्थान में चल रहे भ्रष्टाचार विरोधी विशेष अभियान का हिस्सा है, जिसके अंतर्गत कई विभागों में ऐसी कार्रवाइयाँ की जा रही हैं।