
Up Kiran, Digital Desk: आज के डिजिटल युग में बच्चों में पढ़ने की आदत विकसित करना एक महत्वपूर्ण चुनौती है, लेकिन यह उनके सर्वांगीण विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है. यूनिसेफ (UNICEF) का मानना है कि बचपन से ही बच्चों को किताबों से जोड़ने से उनकी कल्पना शक्ति, शब्दावली और सीखने की क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होती है. 3 से 5 साल की उम्र के बच्चे अक्सर नई चीजें सीखने के लिए उत्सुक रहते हैं, और यह उन्हें किताबों की दुनिया से परिचित कराने का सबसे सही समय है.
यहाँ कुछ सरल और प्रभावी तरीके दिए गए हैं जिनसे आप अपने नन्हे-मुन्नों को किताबों से प्यार करना सिखा सकते हैं:
जल्दी शुरुआत करें: भले ही बच्चा बहुत छोटा हो, जन्म से पहले या जन्म के तुरंत बाद से ही उसे पढ़कर सुनाना शुरू कर दें. वे आपकी आवाज और कहानी के प्रवाह को महसूस करेंगे, जो भविष्य में पढ़ने की रुचि पैदा करेगा.
नियमित रूप से पढ़ें: हर दिन कुछ समय तय करें जब आप अपने बच्चे को किताब पढ़कर सुनाएं. सोने से पहले की कहानी (बेडटाइम स्टोरी) एक बेहतरीन तरीका है, जो न केवल पढ़ने की आदत विकसित करता है बल्कि आपके बीच एक प्यारा बंधन भी बनाता है.
उनकी पसंद को महत्व दें: बच्चों को अपनी पसंद की किताबें चुनने दें, भले ही वह एक ही किताब को बार-बार पढ़ना चाहें. इससे उन्हें स्वामित्व की भावना मिलती है और वे पढ़ने की प्रक्रिया का आनंद लेते हैं.
पढ़ने का कोना बनाएं: घर में एक आरामदायक और आकर्षक 'रीडिंग कॉर्नर' बनाएं, जहाँ किताबें आसानी से उपलब्ध हों. यह जगह उन्हें पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करेगी.
इंटरैक्टिव बनाएं: पढ़ते समय आवाज़ें बदलें, चित्रों पर चर्चा करें, और कहानी के बारे में प्रश्न पूछें. उन्हें कहानी में शामिल करें, जिससे वे सक्रिय रूप से जुड़ें.
वास्तविक जीवन से जोड़ें: कहानी के पात्रों या घटनाओं को बच्चे के वास्तविक जीवन के अनुभवों से जोड़ें. इससे कहानी उनके लिए अधिक प्रासंगिक और मजेदार बन जाती है.
आप एक रोल मॉडल बनें: बच्चे अपने माता-पिता की नकल करते हैं. यदि वे आपको पढ़ते हुए देखेंगे, तो उनमें भी पढ़ने की स्वाभाविक रुचि पैदा होगी.
पुस्तकालय या बुकस्टोर जाएं: अपने बच्चे को पुस्तकालयों या किताबों की दुकानों पर ले जाएं. वहाँ की किताबों की विशाल दुनिया उन्हें रोमांचित करेगी और नई किताबें तलाशने के लिए प्रेरित करेगी.
प्रशंसा और प्रोत्साहन: जब आपका बच्चा पढ़ने में रुचि दिखाए या खुद से कुछ अक्षर या शब्द पहचानने की कोशिश करे, तो उसकी प्रशंसा करें. सकारात्मक प्रोत्साहन उन्हें आगे बढ़ने में मदद करेगा.
धैर्य रखें: हर बच्चा अलग होता है और अपनी गति से सीखता है. यदि आपका बच्चा तुरंत दिलचस्पी नहीं दिखाता है, तो धैर्य रखें और उसे मजबूर न करें. सीखने की प्रक्रिया को मजेदार बनाए रखें.
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