
Up Kiran, Digital Desk: भारत और तुर्की के बीच बढ़ते तनाव का असर अब पर्यटन पर भी दिखने लगा है। पिछले तीन महीनों में तुर्की आने वाले भारतीय पर्यटकों की संख्या में भारी गिरावट आई है। आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि यह गिरावट लगभग 50% तक पहुँच गई है, और इसकी वजह 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान अंकारा द्वारा पाकिस्तान का खुला समर्थन है।
आंकड़े क्या कहते हैं?
द्वारा एक्सेस किए गए तुर्की के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, जुलाई 2025 में केवल 16,244 भारतीय नागरिकों ने तुर्की की यात्रा की। यह संख्या मई में 31,659 और जून में 24,250 की तुलना में काफी कम है।
चिंता की बात यह है कि पिछले साल की तुलना में भी यह गिरावट काफी ज़्यादा है। जुलाई 2024 में 28,875 भारतीय तुर्की गए थे, जो इस साल जुलाई की तुलना में लगभग 44% ज़्यादा था।
'ऑपरेशन सिंदूर' और तुर्की का रुख
यह गिरावट इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि मई में यह ख़बरें सामने आई थीं कि 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान पाकिस्तान ने तुर्की में बने SONGAR ASISGUARD ड्रोन का इस्तेमाल किया था। इतना ही नहीं, तुर्की ने वैश्विक मंचों पर भी खुले तौर पर इस्लामाबाद का पक्ष लिया था। संयुक्त राष्ट्र में तुर्की, चीन और अज़रबैजान ही वे तीन देश थे जिन्होंने संघर्ष के दौरान पाकिस्तान का समर्थन किया था।
"बॉयकॉट टर्की" अभियान का असर
इन खुलासों के तुरंत बाद, भारत में "बायकॉट टर्की" अभियान शुरू हो गया था। मेकमाईट्रिप (MakeMyTrip), ईजीमाईट्रिप (EaseMyTrip) और क्लियरट्रिप (Cleartrip) जैसे प्रमुख ट्रैवल पोर्टल्स ने देश के लिए पैकेज का प्रचार बंद करने की घोषणा कर दी थी।
ईजीमाईट्रिप के संस्थापक निशंत पিত্তी ने कहा था कि पर्यटकों की संख्या में यह गिरावट भारतीय यात्रियों की बढ़ती जागरूकता को दर्शाती है। उन्होंने कहा, "जब कोई देश भारत की संप्रभुता को चुनौती देने वाली ताकतों का साथ देता है, तो वह भारत से यह उम्मीद नहीं कर सकता कि भारतीय उसकी अर्थव्यवस्था में योगदान दें। हमारे राष्ट्र के प्रति सम्मान गैर-परक्राम्य (non-negotiable) है।"
आगे और तेज़ हो सकती है गिरावट
पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों का मानना है कि इसका असर और भी बढ़ेगा, क्योंकि भारतीय पर्यटक आमतौर पर अपनी गर्मियों की यात्राओं की योजना महीनों पहले बना लेते हैं।
कूटनीतिक संकेत भी मिले
इस विरोध को नई दिल्ली से मिले प्रतीकात्मक कूटनीतिक संकेतों से भी बल मिला है। जून में साइप्रस की अपनी यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलाइड्स के साथ निकोसिया में संयुक्त राष्ट्र के युद्धविराम रेखा का दौरा किया था और 1974 से तुर्की के कब्जे वाले उत्तरी क्षेत्रों का भी निरीक्षण किया था। इसे अंकारा के लिए एक स्पष्ट संदेश के तौर पर देखा गया।
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