
अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में माहौल एक बार फिर गरमा गया है। रूस और पश्चिमी देशों के बीच तनाव किसी से छिपा नहीं है, और इसका सबसे बड़ा कारण रूस-यूक्रेन युद्ध है। इसी सिलसिले में, यूरोपीय संघ (EU) ने रूस पर 19वां प्रतिबंध पैकेज लगा दिया है। लेकिन इस बार रूस ने इस पर जो प्रतिक्रिया दी है, वो काफी दिलचस्प है।
रूस का कहना है कि यूरोपीय संघ के ये प्रतिबंध अब खुद उन्हीं के लिए मुसीबत बनते जा रहे हैं। रूस की विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता, मारिया ज़खारोवा ने कहा है कि यूरोपीय संघ ने रूस को रणनीतिक रूप से हराने और उसकी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने के जितने भी तरीके सोचे थे, वे सब लगभग खत्म हो चुके हैं। उनके मुताबिक, इन प्रतिबंधों का असर अब उल्टा हो रहा है और ये रूस से ज्यादा यूरोपीय संघ को ही नुकसान पहुंचा रहे हैं।
यह बयान तब आया है जब यूरोपीय संघ ने रूस के एनर्जी और बैंकिंग सेक्टर को निशाना बनाते हुए नया प्रतिबंध पैकेज लागू किया है।
यूरोपीय संघ अपने फैसले पर कायम
दूसरी तरफ, यूरोपीय संघ अपने इरादों पर पूरी तरह से अटल है। यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष एंटोनियो कोस्टा ने साफ किया है कि यूक्रेन को मदद मिलती रहेगी। उन्होंने बताया कि 2026 और 2027 के लिए यूक्रेन की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए राजनीतिक फैसले लिए जाएंगे, जिसमें सैन्य उपकरण खरीदना भी शामिल है।
यूरोपीय संघ और उसके सदस्य देश मिलकर अब तक यूक्रेन को 177.5 बिलियन यूरो की भारी-भरकम मदद दे चुके हैं, जिसमें से 63.2 बिलियन यूरो सिर्फ सैन्य सहायता के लिए थे।
कोस्टा ने यह भी कहा कि रूस लगातार यूक्रेन के आम नागरिकों और नागरिक ठिकानों पर हमले बढ़ा रहा है, जिसका मतलब है कि हमें यूक्रेन की लड़ाई में उसका साथ देना जारी रखना होगा ताकि एक स्थायी शांति स्थापित हो सके।
यह पूरा घटनाक्रम दिखाता है कि रूस और पश्चिमी देशों के बीच तनातनी फिलहाल कम होने वाली नहीं है। एक तरफ रूस यह दिखाने की कोशिश कर रहा है कि उस पर इन प्रतिबंधों का कोई असर नहीं हो रहा, बल्कि ये यूरोपीय संघ के लिए ही उल्टे पड़ रहे हैं। वहीं दूसरी ओर, यूरोपीय संघ यूक्रेन के साथ मजबूती से खड़ा है और पीछे हटने को तैयार नहीं है। अब देखना यह होगा कि भविष्य में यह कूटनीतिक जंग क्या मोड़ लेती है।