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धर्म डेस्क। सनातन धर्म में ईश्वर आराधना के कई नियम बताए गए हैं। ईश्वर की कृपा प्राप्त करने का सर्वोत्तम तरीका मंत्र जाप माना जाता है। मंत्रोच्चारण ईश्वर की आराधना करने और मन को स्थिर व शांत करने का सर्वोत्तम उपाय है। मंत्रों के उच्चारण से व्यक्ति की चेतना ईश्वर से जुड़ जाती है। इससे मानसिक व शारीरिक शांति का अनुभव होता है। मंत्रोच्चारण ईश्वर से जुड़ने का एक बेहतर तरीका है। शास्त्रों में कहा गया है कि अक्षर से शब्द एवं शब्द से मंत्र बनता है। मंत्र के द्वारा एक शक्ति जागृत होती है। यही शक्ति जीवन की सभी समस्याओं का शमन करता है।  

धर्म शास्त्रों के अनुसार सृष्टि के प्रारंभ में शिवजी ने नृत्य किया था। शिव नृत्य से चौदह प्रकार की ध्वनियां प्रवाहित हुईं। इन ध्वनियों को ही मंत्रों का मूल आधार माना जाता है। मन्त्रों को ईश्वरीय शक्ति माना गया है, जिससे मनुष्य की गुप्त शक्तियों का उदय होता है। मन्त्रों का नियमित जाप करने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। तो आज हम यहां पर कुछ ऐसे मन्त्रों का उल्लेख कर रहे हैं जो आपके जीवन में आरही समस्याओं को दूर कर सौभाग्य के द्वार खोलेंगे।

वर्तमान समय में युवक एवं युवतियों के विवाह में समस्याएं आ रही हैं। लोगों को मनचाहा जीवन साथी मिलने में दिक्क्तें आ रही हैं। विवाह को लेकर चिन्तित युवतियों को मनचाहा जीवन वर प्राप्य करने के लिए मां कात्यायनी की आराधना करनी चाहिए। मां कात्यायनी का मत्र इस प्रकार है - कन्या के विवाह हेतु मंत्र: कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीश्वरि। नन्दगोप सुतं देवि पतिं मे कुरु ते नमः।।

इसी तरह युवकों को मनोवांछित पत्नी की प्राप्ति के लिए दुर्गा सप्तशती में वर्णित मंत्र का जप करना चाहिए। दुर्गा सप्तशती में वर्णित मंत्र - पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्। तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम्।।

इसी तरह शास्त्रों में बीमारियों से मुक्ति के भी मंत्र उपाय बताये गए हैं। रोग से मुक्ति के लिए रोग नाशक एवं आरोग्य प्राप्ति दोनों मंत्रों का जाप करना लाभदायक होता है। रोग नाशक मंत्र - रोगानशेषानपहंसि तुष्टा, रूष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान्। त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां, त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति।। आरोग्य एवं  सौभाग्य प्राप्ति के लिए मंत्र - देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि में परमं सुखम्। रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।  

इसी तरह शास्त्रों में बताया गया है कि यदि प्रातः कुछ मंत्रों का जाप करके दिन की शुरुआत करें तो तो पूरा दिन शुभ शुभ बीतता है। व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा की अनुभूति होती है। सनातन धर्म में ओम मंत्र को सर्वशक्तिमान मंत्र माना गया है। इस मंत्र का जाप करने से जीवन समस्याओं से मुक्त हो जाता है। सनातन विद्वानों से अनुसार दिन का पारंभ गायत्री मंत्र से करना चाहिए। 'ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्'। गायत्री मंत्र से दिन की शुरुआत करने से आत्मिक शांति मिलती है और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

इसी तरह भगवान शिव को समर्पित महामृत्युंजय मंत्र को सर्वाधिक प्रभावशाली माना गया है। इस मंत्र का जाप करने से अकाल मृत्यु का खतरा टालने के साथ ही महादेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। महामृत्युंजय मंत्र - ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम।  उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात।।

इसी तरह नित्य प्रातः उठकर भगवान् विष्णु के मंत्र का जाप करने से सभी कार्यों में सफलता मिलती है। किसी तरह की विपत्ति का सामना नहीं करना पड़ता है। विष्णु मंत्र - ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय।। इसी तरह नित्य विष्णु प्रिया माता लक्ष्मी का ध्यान करना सबसे शुभ माना गया है। नित्य प्रातः मां लक्ष्मी को समर्पित मंत्र का जाप करने से आर्थिक तंगी एवं कर्ज से छुटकारा मिलता है। लक्ष्मी मंत्र - ऊँ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये। धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा।।  
 

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