_684548715.png)
जब पूरा राजस्थान अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर हजारों शादियों का गवाह बना, तब जोधपुर की 19 वर्षीय सोनिया ने एक ऐसा साहसिक कदम उठाया, जिसने समाज की जड़ों को झकझोर दिया। इस पारंपरिक दिन को जहां लोग शुभ मानते हैं, वहीं सोनिया ने बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीति को चुनौती देकर न्याय का रास्ता चुना।
यह केवल एक व्यक्तिगत फैसला नहीं था, बल्कि एक पूरे विचारधारा के खिलाफ विद्रोह था। यह कहानी उस आवाज़ की है जो बचपन से दबा दी गई थी और अब न्यायालय के दरवाजे पर गूंज बनकर पहुंची।
34 दिन की उम्र में हुई शादी, 17 साल बाद लिया फैसला
सोनिया का विवाह महज 34 दिन की उम्र में कर दिया गया था। सन् 2005 की उस एक रस्म ने उसके जीवन की दिशा तय कर दी थी बिना उसकी मर्जी, बिना उसकी समझदारी।
जब 2022 में उसका गौना हुआ और उसे ससुराल भेजा गया, तब उसे असहनीय व्यवहार और सामाजिक बंधनों का सामना करना पड़ा। यह उसके लिए केवल एक विवाह नहीं था, बल्कि एक कैद थी जिससे निकलना जरूरी था।
सारथी ट्रस्ट और डॉ. कृति भारती की मदद से मिला न्याय का रास्ता
सोनिया ने सारथी ट्रस्ट और बाल विवाह निरस्तीकरण अभियान की संस्थापक डॉ. कृति भारती से संपर्क किया। डॉ. भारती ने सोनिया को कानूनी मदद दी और जोधपुर की पारिवारिक न्यायालय संख्या 1 में बाल विवाह निरस्त करने का मुकदमा दायर किया।न्यायाधीश सतीश कुमार गोदारा ने मामले को आनन फानन संज्ञान में लिया और सुनवाई शुरू की।
कौन हैं डॉ. कृति भारती, बाल विवाह के खिलाफ खड़ी एक मिसाल
डॉ. कृति भारती केवल एक समाजसेवी नहीं बल्कि एक आंदोलन की प्रतीक हैं। अब तक उन्होंने 52 से ज्यादा बाल विवाह कानूनी रूप से निरस्त करवा दिए हैं। उनका मानना है कि ये लड़ाई सिर्फ एक लड़की की नहीं है, यह पूरे समाज की सोच बदलने की शुरुआत है। उनकी पहल ने राजस्थान में हजारों बच्चियों को नई ज़िंदगी दी है। हर केस एक नई उम्मीद, एक नया संदेश लेकर आता है।
अक्षय तृतीया पर बाल विवाह रोकने के लिए प्रशासन ने भी सक्रियता दिखाई। रेंज आईजी विकास कुमार ने आठ जिलों में हेल्पलाइन नंबर जारी किए, जिनके जरिए से लोग बाल विवाह की जानकारी गुप्त रूप से दे सकते हैं। इससे बाल विवाह के मामलों को समय रहते रोका जा सकता है।
--Advertisement--