
Up Kiran, Digital Desk: भारत के राजनीतिक इतिहास में दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) की हत्या एक ऐसा पन्ना है जिसे हर कोई संजीदगी से याद करता है। लेकिन अब, बसपा (BSP) प्रमुख और वरिष्ठ नेता मायावती (Mayawati) ने इस त्रासदी को एक अलग नजरिए से देखते हुए एक बहुत बड़ा बयान दिया है, जिससे देश की जातिगत राजनीति और राजनीतिक बहस गरमा गई है।
मायावती ने साफ़ शब्दों में कहा है कि इंदिरा गांधी की हत्या (Indira Gandhi Assassination) सिर्फ एक व्यक्तिगत या सुरक्षा चूक का मामला नहीं था, बल्कि इसे देश के भीतर मौजूद जातिगत पूर्वाग्रह (Caste Bias) के लिए एक 'राष्ट्रीय हिसाब' (National Reckoning) या गंभीर निर्णय के रूप में देखा जाना चाहिए।
निष्पक्ष जाँच' क्यों ज़रूरी: मायावती हमेशा से दलित-बहुजन (Dalit-Bahujan) समाज के अधिकारों की लड़ाई लड़ती रही हैं, और उनका यह बयान भारत के सामाजिक न्याय से जुड़े मुद्दों को एक नए और विवादास्पद ढंग से जोड़ता है। उनका कहना है कि आज तक देश के बड़े इतिहास की किताबों में इस पूरे जातिगत पहलू को ठीक से दर्ज नहीं किया गया है।
इसी वजह से उन्होंने केंद्र सरकार से पुरज़ोर मांग की है कि इस पूरे मामले की पूरी निष्पक्ष जाँच (Impartial Probe) कराई जाए। उन्होंने तर्क दिया कि उस त्रासदी के पीछे छिपे हुए हर राजनीतिक और जातिगत मकसद को सार्वजनिक रूप से देश के सामने लाना बहुत जरूरी है, ताकि पूरी सच्चाई सामने आ सके।
बसपा नेता ने जोर देकर कहा कि देश में ऊँच-नीच के कारण दलित समाज लंबे समय से जो मानसिक और शारीरिक यातना झेलता आ रहा है, उसका दर्द हमेशा ही बड़ी राजनैतिक घटनाओं (Political Events) से जुड़ा रहता है। इसलिए, उन्होंने सरकार को यह चुनौती दी है कि वह अब सच का सामना करे और जांच को तेज़ करे। मायावती का यह बयान ऐसे समय में आया है जब देश के भीतर आरक्षण (Reservation) और जातिवाद (Casteism) पर एक बार फिर गर्मागर्म बहस छिड़ी हुई है।